वायु प्रदूषण नहीं रोक पाने पर कार्रवाई होगी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा करोड़ों जिंदगियों का सवाल

Last Updated 07 Nov 2019 01:07:19 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि खतरनाक स्तर का वायु प्रदूषण दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करोड़ों लोगों के लिए जिंदगी-मौत का सवाल बन गया है।


सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद अमृतसर में पराली जलाता एक किसान। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाया जाना बदस्तूर जारी है। दिल्ली में भारतीय युवा कांग्रेस की एक सदस्य प्रदूषण के विरोध में मास्क पहनकर राजीव गांधी चौक पर प्रदर्शन करते हुए। (इनसेट) (फोट

शीर्ष अदालत ने कहा कि वायु प्रदूषण पर अंकुश लगा पाने में विफल रहने के लिए प्राधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराना होगा। दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण में किसानों द्वारा पराली जलाए जाने के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने सोमवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को छह नवंबर को न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया था।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सवाल किया, ‘‘क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे। क्या आप देश को सौ साल पीछे जाने दे सकते हैं?’’ पीठ ने कहा, ‘हमें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।’ पीठ ने सवाल किया, ‘सरकारी मशीनरी पराली जलाए जाने को रोक क्यों नहीं सकती?’ न्यायाधीशों ने राज्य सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं है, तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गए हैं। आप गरीब लोगों के बारे में चिंतित ही नहीं हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।’’

शीर्ष अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या सरकार किसानों से पराली एकत्र करके उसे खरीद नहीं सकती? दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘हम पराली जलाने और प्रदूषण पर नियंतण्रके मामले में देश की लोकतांत्रिक सरकार से और अधिक अपेक्षा करते हैं। यह करोड़ों लोगों की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल है। हमें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।’’ इससे पहले शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को ‘भयावह’ करार दिया था। न्यायालय ने कहा था कि ‘आपात स्थिति से बदतर हालात’ में लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।
 

पराली न जलाने वालों को 100 रुपए प्रति क्विंटल मिले सहायता
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर-प्रदेश, पंजाब और हरियाणा सरकार से कहा है कि अपने छोटे और सीमांत किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से आर्थिक मदद करे। गैर-बासमती चावल की पैदावार करने वाले किसानों को यह मदद दी जाए ताकि वह पराली न जलाएं। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया। आर्थिक मदद सात दिन के अंदर देनी होगी। जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह सरकार का कर्तव्य है कि वह किसानों के हितों की देखभाल करे।

अदालत ने कहा कि यह बहुत आवश्यक है कि पराली को जलाने से रोकने के लिए किसानों को मशीनें उपलब्ध कराई जाएं। बेंच ने केंद्र और पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली सरकारों को निर्देश दिया कि वे पर्यावरण संबंधी मुद्दों का ध्यान रखने के लिए तीन महीने के भीतर विस्तृत योजना तैयार करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह शर्मनाक स्थिति है कि देश की राष्ट्रीय राजधानी में कच्चे रास्ते और सड़कों पर गड्ढे हैं। फुटपाथ पर कब्जे कर लिए गए हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर को पार कर गया है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सहित चार राज्यों के मुख्य सचिव कोर्ट में हाजिर हुए। सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि राज्य सरकारें प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास नहीं कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए कोई योजना नहीं बनाई जाती। हर साल यह समस्या पैदा होती है।

 

सहारा न्यूज ब्यूरो/भाषा
नई दिल्ली


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