सफल मिशन था चंद्रयान-2, युवाओं में जिज्ञासा पैदा की
देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ‘चंद्रयान 2’ एक सफल मिशन था और इससे युवाओं में विज्ञान को लेकर उत्सुकता पैदा हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के बिना दुनिया का कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जीवन के अन्य पहलुओं के विपरीत लोगों को वैज्ञानिक अनुसंधानों से तत्काल परिणामों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि वैज्ञानिक खोजों से वर्तमान पीढ़ी को तत्काल मदद नहीं मिले, लेकिन भविष्य में यह फायदेमंद हो सकती हैं। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोलकाता में ‘भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव’ को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान 2 पर बहुत मेहनत की। सब कुछ योजना के अनुसार नहीं हुआ, लेकिन यह मिशन सफल था। यदि आप व्यापक परिप्रेक्ष्य की ओर देखें, तो आप पाएंगे कि यह भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों की सूची में एक प्रमुख उपलब्धि है।
सात सितंबर को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का इसरो के नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया था। यदि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग सफल हो गई होती तो भारत अमेरिका, रूस और चीन की सूची में शामिल हो सकता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चंद्रयान 2 मिशन ने युवाओं और पुराने लोगों में एक जैसी जिज्ञासा पैदा की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान नूडल्स तैयार करने या पिज्जा खरीदने की तरह नहीं हो सकता, इसके लिए धैर्य की आवश्यकता होती है और ऐसे शोधों के परिणाम लोगों को दीर्घकालिक समाधान प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान में नाकामी नहीं होती सिर्फ प्रयास और प्रयोग होते हैं तथा सफलता होती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप आगे बढ़ेंगे तो विज्ञान के क्षेत्र में भी आपको दिक्कत नहीं आएगी और जीवन में भी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आवश्यकता को पहले आविष्कार की जननी माना जाता था, और अब आविष्कार ने ही जरूरतों की सीमाओं को बढ़ाया है। उन्होंने शोधकर्ताओं से प्रयोगों के दौरान दीर्घावधिक लाभ और समाधान पर विचार करने का आग्रह करते हुए उनसे कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों को ध्यान में रखें।
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