अयोध्या मामला: मुस्लिम पक्ष ने कहा, 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमे एक जैसे

Last Updated 30 Sep 2019 04:31:11 PM IST

उच्चतम न्यायालय में अयोध्या विवाद की सुनवाई के 34वें दिन सोमवार को मुस्लिम पक्ष ने कहा कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमे एक जैसे ही हैं, दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि 1885 में विवादित स्थल के एक जगह पर दावा किया गया था और अब पूरे हिस्से पर दावा किया गया है।


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

मुस्लिम पक्षकार के वकील शेखर नाफडे ने दलील दी कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमे एक जैसे ही हैं, दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि 1885 में विवादित स्थल के एक जगह पर दावा किया गया था और अब पूरे हिस्से में दावा किया गया है। अब हिंदू अपने दावे के दायरे को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नागरिक दंड संहिता में वर्णित रेस ज्यूडिकाता के तहत उसी विवाद को हिंदू पक्षकार दोबारा नहीं उठा सकते। रेस ज्यूडीकाटा नियम (एक ही तरह के विषय पर दो बार वाद दायर नहीं किया जा सकता) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नजरअंदाज कर दिया था।

रामलला मध्यस्थता प्रक्रिया से अल

 इस बीच इस मामले में मध्यस्थता की उम्मीदों को आज झटका लगा जब रामलला विराजमान ने कहा कि उसे कोर्ट के फैसले पर ही भरोसा होगा।

कोर्ट मौजूदा समय में मामले पर रोजाना सुनवाई कर रही है, जिसके 18 अक्टूबर तक या उससे पहले पूरा हो जाना है। आज राम लला विराजमान की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सी.एस.वैद्यनाथन ने अदालत के समक्ष बहस में कहा, "हम मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहे हैं.. सभी तरह की रिपोर्ट आसपास चल रही है। हम बहुत स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम भाग नहीं ले रहे हैं।"

शीर्ष अदालत छह अगस्त से मामले पर रोजाना सुनवाई शुरू कर रही है।

18 सितंबर को मामले पर जारी सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफ.एम.आई कलीफुल्ला की अगुवाई में एक मध्यस्थता समिति को निर्दिष्ट किया था, लेकिन इसके मामले को सौहार्द्रपूर्ण रूप से हल करने में विफल रहने पर इसे वापस ले लिया गया।

प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों से कहा कि अगर जरूरत हुई तो सुनवाई शनिवार को भी हो सकती है।

अदालत ने इससे पहले कहा था कि पक्षकार मामले को सुलझाने के लिए स्वतंत्र हैं और वे अदालत के समक्ष रिपोर्ट रख सकते हैं। यह भी स्पष्ट किया गया कि कार्यवाही विश्वसनीय बनी रहेगी।

पक्षों के साथ चर्चा के बाद शीर्ष अदालत ने मामले में बहसों के पूरा होने के लिए 18 अक्टूबर की समय सीमा तय की।

वार्ता/आईएएनएस
नयी दिल्ली


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