करगिल-लेह इलाकों में मजबूत होगा संचार नेटवर्क
पाकिस्तान व चीन से सटे सामरिक महत्व के करगिल व लेह इलाकों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए अब संचार नेटवर्क को और बेहतर किया जाएगा।
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बृहस्पतिवार को लद्दाख से भाजपा सांसद जमयांग शेयरिंग नमग्याल ने कहा कि इन इलाकों की वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में विशेषकर चीन की दिशा से जब-तब अतिक्रमण की कोशिशें होती रहती हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के पास चीन की इन हरकतों के बारे में फौरन जानकारी देने के लिए कोई संचार माध्यम उपलब्ध नहीं है। ऐसे में लेह और करगिल में 361 गांवों को प्राथमिकता के तौर पर संचार नेटवर्क से मजबूत किया जाएगा।
गौरतलब है कि छह जुलाई को पाकिस्तानी सेना ने लेह के सरहदी इलाके दोहला में ही घुसपैठ की थी। इस संबंध में लद्दाख पर्वतीय विकास परिषद के प्रमुख ने लद्दाख के डिप्टी कमिश्नर से भी शिकायत की थी। यह इलाका लेह टाउन से 200 किलोमीटर की दूरी पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास स्थित है। छह जुलाई को स्थानीय लोग तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के जन्मदिन की तैयारी कर रहे थे, उसी दौरान सादा वर्दी में चीनी सेना के जवान वहां आ गए और उन्होंने दलाई लामा के बैनरों व पोस्टरों को जबरन वहां से हटा दिया, जबकि यह इलाका भारतीय क्षेत्र का है।
जब इस घटना की जानकारी मीडिया में आई तो सेना प्रमुख बिपिन रावत ने खबरों का सिरे से खंडन कर दिया और कहा कि चीनी सेना ने लेह में कोई अतिक्रमण नहीं किया। सेना प्रमुख के इस बयान पर अपनी असहमति व असंतोष जताते हुए बृहस्पतिवार को भाजपा सांसद नमग्याल ने कहा कि उस दिन सेना प्रमुख के दिए गए बयान ने लेह के लोगों को आहत किया। उन्होंने कहा कि चीन की ओर से जब-तब भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण की कोशिशें होती रहती हैं। उन्होंने कहा कि संचार नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 125 टावर करगिल व लेह के सरहदी इलाकों में लगाए जाने हैं, इस बाबत उन्होंने संसद के मौजूदा सत्र में सवाल पूछा था, तब उन्हें सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई थी। इन 125 मोबाइल टावरों में से 72 करगिल में तथा 53 लेह में लगाए जाने हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हमारे बंजारा जाति के लोग जब अपनी भेड़-बकरियां चराने सरहद की ओर जाते हैं तो हमारे ही सुरक्षाकर्मी उन्हें वहां जाने से रोकते हैं, जबकि चीन की दिशा से कभी भी सादा वर्दी तथा सैन्य वर्दी में अतिक्रमण की कोशिशें होती रहती हैं। माना जा रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे करीब 361 गांवों में जब प्राथमिकता के तौर पर संचार नेटवर्क स्थापित हो जाएगा तो यहां के सीमांत वासियों में सुरक्षा को लेकर आत्मविश्वास तो पैदा होगा ही, बल्कि सरहद पार से होने वाली किसी भी नापाक हरकत की भी जानकारी समय पर सेना प्रशासन तथा अन्य संबंधित एजेंसियों को दी जा सकेगी।
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