संसद में जयशंकर बोले, कुलभूषण जाधव निर्दोष, सरकार जल्द वापस लाने का करेगी प्रयास

Last Updated 18 Jul 2019 01:43:29 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले का स्वागत किया है।


भारत ने पाकिस्तान से, उसकी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सुनाई गई मौत की सजा की समीक्षा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अदालत द्वारा आदेश दिए जाने के एक दिन बाद, गुरूवार को पड़ोसी देश से अपने पूर्व नौसेना कमांडर को रिहा करने का अनुरोध किया और उन्हें यथाशीघ्र भारत वापस लाने के लिए कोशिश जारी रखने का संकल्प जताया।

संसद के दोनों सदनों में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी ओर से दिए गए एक बयान में जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा ‘‘अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कहा कि पाकिस्तान ने कॉउन्सुलर संबंधों पर वियना संधि के तहत प्रासंगिक दायित्वों का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान ने जाधव की गिरफ्तारी के बारे में विलंब से बताया जिससे हम उन्हें कौन्सुलर सहायता मुहैया नहीं करा पाए।’’ उन्होंने कहा ‘‘यह भी पाया गया कि पाकिस्तान ने भारत को जाधव से बातचीत करने, उनसे जेल में मिलने और उनके लिए कानूनी प्रतिनिधित्व की व्यवस्था करने के अधिकार से वंचित रखा।’’    

विदेश मंत्री ने कहा ‘‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का फैसला न केवल भारत और जाधव के लिए प्रामाणिकता का सबूत है बल्कि उन सभी के लिए भी है जो कानून व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संधियों की पवित्रता में विश्वास रखते हैं।’’    

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बुधवार को दी गई अपनी व्यवस्था में पाकिस्तान से जाधव को 2017 में सुनाई गई मौत की सजा पर रोक लगाने तथा उसकी समीक्षा करने का आदेश दिया है।     

जयशंकर ने कहा कि कुलभूषण जाधव निर्दोष हैं और कानूनी प्रतिनिधित्व तथा नियत प्रक्रिया के बिना जबरन करवाए गए उनके कबूलनामे से वास्तविकता नहीं बदलेगी।     

विदेश मंत्री ने कहा कि हम एक बार फिर पाकिस्तान से जाधव को रिहा करने और भारत वापस भेजने का आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जाधव की सुरक्षा और देखरेख सुनिश्चित करने के साथ ही उन्हें यथाशीघ्र भारत वापस लाने के लिए कोशिश जारी रखेगी।    

सदन में मौजूद सभी दलों के सदस्यों ने मेजें थपथपा कर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी, 49 वर्षीय जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। यह सजा जाधव को बंद कमरे में हुई सुनवाई के बाद अप्रैल 2017 में सुनाई गई।     

जयशंकर ने कहा कि जाधव को मनगढंत आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई थी। उन्हें कौंसुलर सुविधा भी मुहैया नहीं कराई गई जबकि अंतरराष्ट्रीय कानून तथा प्रथाओं में इसकी व्यवस्था है।  उन्होंने कहा ‘‘हमने तब भी यह स्पष्ट किया था कि भारत इस बात को गंभीरता से लेगा कि पाकिस्तान में किसी निदरेष भारतीय नागरिक को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना और कानून एवं न्याय के बुनियादी मानदंडों का उल्लंघन करते हुए मौत की सजा दी जा सकती है।’’     



विदेश मंत्री ने कहा ‘‘जाधव की सुरक्षा और उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हमने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था ताकि उन्हें उचित राहत मिल सके। इस न्यायालय ने उनकी मौत की सजा पर रोक लगा दी थी। और अधिक स्थायी राहत के लिए फिर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से गुहार लगाई गई।’’    

जयशंकर ने कहा ‘‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने 17 जुलाई 2019 को जाधव मामले में अपना फैसला सुनाया। न्यायालय ने सर्वसम्मति से पाया कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र में आता है और 15-1 के मतदान से, प्रमुख पहलुओं पर फैसला सुनाया। इस फैसले पर अपनी असहमति व्यक्त करने वाला एकमात्र न्यायाधीश पाकिस्तानी था।’’    

जयशंकर के अनुसार, ‘‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने यह भी फैसला दिया कि पाकिस्तान जाधव को उनके अधिकारों के बारे में अविलंब अवगत कराने तथा उन्हें कौन्सुलर सुविधा मुहैया कराने के लिए बाध्य है। न्यायालय ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के लिए इस मामले में उपयुक्त भरपाई यह होगी कि वह अपनी इच्छा से जाधव की दोषसिद्धि एवं सजा की समीक्षा तथा उस पर पुनर्विचार की व्यवस्था करे।’’      

बयान में विदेश मंत्री ने कहा ‘‘न्यायालय ने पुन: इस बात पर बल दिया है कि दोषसिद्धि एवं सजा की समीक्षा तथा उस पर पुनर्विचार प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि न्यायालय द्वारा निर्णित सजा की तामीली पर निरंतर स्थगन से प्रभावी समीक्षा तथा पुनर्विचार अनिवार्य हो जाता है।    

जयशंकर ने कहा कि सरकार ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाधव की रिहाई के लिए कानूनी तरीके से अथक प्रयास किए हैं। ‘‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का फैसला न केवल भारत और जाधव के लिए प्रामाणिकता का सबूत है बल्कि उन सभी के लिए भी है जो कानून व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संधियों की पवित्रता में विश्वास रखते हैं। ’’ जयशंकर ने इस प्रक्रिया को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में आगे बढाने और मामले की पैरवी करने वाली भारतीय कानूनी टीम, और खास तौर पर कानूनविद हरीश साल्वे की सराहना भी की।     

राज्यसभा में विदेश मंत्री जयशंकर के बयान के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि वह यह देख कर प्रसन्न हैं कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को लेकर पूरा सदन एकजुट है।    

नायडू ने जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत का पक्ष रखने के लिए न्यायविद हरीश साल्वे की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने नि:शुल्क सेवाएं दीं।  उन्होंने कहा ‘‘कुलभूषण जाधव के मामले को लेकर पूरे देश में चिंता व्याप्त थी। मुझे उम्मीद है कि जब तक कुलभूषण जाधव रिहा नहीं कर दिए जाते तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।’’

 

भाषा
नई दिल्ली


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