प्रियंका की रिहाई में देरी पर ममता सरकार को फटकार
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भाजपा युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा को तत्काल रिहा करने के आदेश के बावजूद रिहाई में देरी के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई।
सर्वोच्च न्यायालय |
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी पहली नजर में मनमानी का मामला लगता है। अदालत प्रियंका शर्मा की माफी के मामले को जुलाई में देखेगी।
शर्मा के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने बुधवार को अदालत को सूचित किया कि उन्हें मंगलवार को रिहा नहीं किया गया क्योंकि जेल प्रशासन अदालत के आदेश की प्रमाणित प्रति मांग रहा था। उन्होंने कहा कि शर्मा को बुधवार सुबह 9.40 बजे रिहा किया गया।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाश पीठ ने जानना चाहा कि सर्वोच्च न्यायालय अभी भी जानना चाहता है कि उसके आदेश के बावजूद भी शर्मा को तत्काल रिहा क्यों नहीं किया गया। पीठ ने सरकार के वकील से कहा कि अगर शर्मा को रिहा नहीं किया गया होता तो अदालत ने अवमानना नोटिस जारी कर दिया होता।
अदालत ने पाया कि गिरफ्तारी प्रथमदृष्ट्या मनमानी का मामला है। पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा, आज सुबह नौ बजकर 40 मिनट पर क्यों ? आदेश आपकी मौजूदगी में दिया गया था। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने जब जेल मैनुअल का हवाला दिया तो पीठ ने तल्ख लहजे में कहा कि जेल मैनुअल को उच्चतम न्यायालय के आदेश की तुलना में वरीयता नहीं दी जा सकती।
माफी नहीं मांगूंगी
मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है जिसके लिये मैं माफी मांगूं। जेल में उनका उत्पीड़न हुआ और उन्हें प्रताड़ित किया गया। -प्रियंका शर्मा, भाजपा नेता
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