श्रीश्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाना RSS को नहीं आया रास

Last Updated 14 Mar 2019 02:07:57 AM IST

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और अखाड़ा परिषद श्रीश्री रविशंकर को अयोध्या विवाद में मध्यस्थ नियुक्त करने के खिलाफ है। इन संस्थाओं का कहना है कि श्रीश्री हिंदू संप्रदाय के संतों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।




अखाड़ा परिषद श्रीश्री रविशंकर (file photo)

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद का हल निकालने के लिए मध्यस्थता का रास्ता तलाशने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इनमें सुप्रीम कोटे के ही सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला और एडवोकेट श्रीराम पंचू के  साथ आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संघ ने श्रीश्री को संदेश भिजवाया था कि वह मध्यस्थ न बनें लेकिन श्रीश्री ने संघ की बात नहीं मानी।
दरअसल श्रीश्री दो साल पहले से सार्वजनकि तौर पर अयोध्या विवाद में मध्यस्थ बनने की बात कह रहे थे। तब भी संघ ने उनसे कहा था कि वह इस विवाद से दूर रहें। उसके बाद उनका बयान आया था कि वह कोई मध्यस्थता नहीं करना चाहते। लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरफ से पहल करते हुए मध्यस्थता का रास्ता अपनाया तब फिर श्रीश्री का नाम आ गया है।

आरएसएस चाहता है कि यदि मध्यस्थ ही बनाना है तो अखाड़ा परिषद की सलाह पर किसी संत को बनाया जा सकता है। क्योंकि बिना अखाड़ा परिषद की सहमति के अयोध्या विवाद का हल नहीं सकता। अयोध्या विवाद में निर्मोही अखाड़ा पार्टी भी है। संतों की तरफ से श्रीश्री का विरोध हो रहा है ।
गत 8, 9 और 10 मार्च को इंदौर में हुई आरएसएस की प्रतिनिधि सभा में राममंदिर निर्माण पर विस्तार से चर्चा हुई जहां श्रीश्री रविशंकर के पैनल में शामिल होने पर भी चर्चा हुई। बैठक में इस पर चर्चा हुई कि भाजपा ने राममंदिर निर्माण का वायदा किया था लेकिन इस तरफ प्रगति नहीं हुई। लेकिन चुनाव को देखते हुए संघ इस मुद्दे को गरमाने की जगह शांत करेगा और लोगों को समझाने की कोशिश करेगा कि कोर्ट की तरफ से विलम्ब हो रहा है और सरकार ने अधिग्रहीत जमीन राममंदिर न्यास को सौंपने का फैसला कर सकारात्मक कदम उठाया है।

रोशन/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment