सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसद आर्थिक आरक्षण पर संसद की मुहर
राज्यसभा ने भी बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं (सरकारी आर्थिक सहयता प्राप्त भी) में 10 फीसद आरक्षण के लिए लाए गए 124वें संविधान संशोधन विधेयक 2019 को बहुमत से पारित कर दिया।
राज्यसभा में आर्थिक आरक्षण पर संसद की मुहर |
विधेयक के विरोध में 165 और विरोध में सात मत पड़े।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने ये विधेयक सदन में अपराह्न पेश किया। इस पर चर्चा की शुरुआत सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने की। इसके बाद सदन के तकरीबन 35 सदस्यों ने अपनी राय और सुझाव रखे। राजद, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, अन्ना द्रमुक सदस्यों के अलावा और एक दो सदस्यों के विरोध के अलावा ज्यादातर दलों ने विधेयक का समर्थन किया। वहीं कुछ सदस्यों ने इसे सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की। लेकिन मतविभाजन में यह प्रस्ताव नामंजूर कर दिया हो गया। इसके पक्ष में 18 और 155 विरोध में पड़े।
गहलोत ने तकरीबन 10 घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक अच्छे इरादे और अच्छी नीति से लाया गया है। जो सदस्य इसका समर्थन कर रहे हैं मैं उनका धन्यवाद करता हूं। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि आरक्षण की व्यवस्था कांग्रेस ने की और संवैधानिक दायरे में की। लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक रूप से पिछड़ों को लाभ पहुंचाने के लिए जो संशोधन विधेयक लाने का काम किया है सभी सदस्य इसको पास कराने में अपनी भूमिका निभाएं। जबकि इससे पहले विपक्ष के अनेक सदस्यों ने विधेयक के समय और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।
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