लोकसभा में बहुमत से पास हुआ आर्थिक आरक्षण, राज्यसभा में आज होगा पेश, यहां भी पारित होने की उम्मीद

Last Updated 09 Jan 2019 01:10:51 AM IST

लोकसभा ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था से संबंधित ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को पारित कर दिया।


लोकसभा में बहुमत से पास हुआ आर्थिक आरक्षण विधेयक

संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 के पक्ष में 323 मत पड़े, जबकि तीन सदस्यों ने विरोध में मतदान किया। चर्चा के जवाब से असंतुष्ट अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। विधेयक बुधवार राज्यसभा में पेश किया जाएगा। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के रुख को देखते हुए उम्मीद है सरकार को यहां भी इसे पारित कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
विधेयक के जरिये संविधान के 15वें और 16वें अनुच्छेद में संशोधन किये गए। इसके कानून बनने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में 10 प्रतिशत तक आरक्षण मिल सकेगा। यह आरक्षण मौजूदा आरक्षणों के अतिरिक्त होगा और इसकी अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत होगी।
कांग्रेस सहित सभी विपक्षी ज्यादातर पार्टियों ने विधेयक के समर्थन में अपना मत दिया। राजद और आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने ही विधेयक का खुल कर विरोध किया। हालांकि कांग्रेस और अन्य कई दलों के सदस्यों ने विधेयक के समय और तरीके व सरकार की नीयत पर सवाल जरूर उठाए। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जहां मोदी का गुणगान किया, वहीं विपक्षी सदस्यों ने जोर दिया कि जरूरतमंदों को इसका लाभ मिले सरकार को इसकी सुनिश्चित व्यवस्था करनी चाहिए। बुधवार को राज्यसभा में इसे पेश किया जाएगा। पार्टियों के रुख से लग रहा है कि सरकार को इसे पास कराने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत गहलोत ने विधेयक पेश करते हुए बताया कि इसका लाभ बिना धार्मिक भेदभाव के मिलेगा। चाहे हिन्दू हो, मुस्लिम या ईसाई जो भी अनारिक्षत श्रेणी में आता है वे सब इसके दायरे में आएंगे। विधेयक पेश होने के बाद तकरीबन 30 सदस्यों ने इस पर अपनी राय रखी और कुछ सुझाव भी सरकार को दिये।
इस संविधान संशोधन के जरिये  सरकार को ‘आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी नागरिक’ को आरक्षण देने का अधिकार मिल जाएगा। ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग’ की परिभाषा तय करने का अधिकार सरकार पर छोड़ दिया गया है जो अधिसूचना के जरिये समय-समय पर इसमें बदलाव कर सकती है। इसका आधार पारिवारिक आमदनी तथा अन्य आर्थिक मानक होंगे।
विधेयक के उद्देश्य तथा कारणों में यह स्पष्ट किया गया है कि सरकारी के अलावा निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आर्थिक रूप से पिछड़े वगरें के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू होगी, चाहे वह सरकारी सहायता प्राप्त हो या न हो। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत स्थापित अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में यह आरक्षण लागू नहीं होगा। साथ ही नौकरियों में सिर्फ आरंभिक नियुक्ति में ही सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण मान्य होगा।
विभिन्न संशोधनों पर मतदान से पहले चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सदस्यों की इस आशंका को निमरूल करार दिया कि यह संशोधन विधेयक कानून में परिवर्तित होने के बाद जब न्यायिक समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष जाएगा, तो नहीं टिक पाएगा। पहले जब भी इस तरह के प्रयास किये गए, तो इसके लिए संवैधानिक प्रावधान नहीं किये गए थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इससे करोड़ों लोगों को लाभ मिलेगा।

मोदी ने समर्थन के लिए सभी दलों का आभार जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधेयक के पारित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे पास कराने में समर्थन के लिए सभी पार्टियों के सदस्यों का आभार प्रकट किया। उन्होंने उम्मीद जाहिर कि समाज के सभी वगरे को न्याय दिलाने की दिशा में अहम कदम उठाए जा सकेंगे।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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