आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने पर चंद्रबाबू नायडू का फैसला-छोड़ी सरकार, गठबंधन कायम
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के मुद्दे पर तेदेपा ने अपने मंत्रियों को मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से अलग होने का फैसला कर लिया है.
![]() हैदराबाद में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेदेपा प्रमुख चंद्र बाबू नायडू (file photo) |
दोनों मंत्री बृहस्पतिवार को सुबह अपना इस्तीफा सौंप देंगे. यह घोषणा हैदराबाद में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेदेपा प्रमुख चंद्र बाबू नायडू ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर की. हालांकि उन्होंने स्थिति साफ करते हुए कहा कि उनकी पार्टी केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन जारी रखेगी.
नायडू ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए और सवालों का जवाब देते हुए भारी मन से अपने फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया. गठबंधन के समय आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए केंद्र सरकार में शामिल उनकी पार्टी के दोनों मंत्री अशोक गजपति राजू और राज्य मंत्री वाईएस चौधरी बृहस्पतिवार को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
नायडू ने कहा कि उन्होंने दिल्ली का हाल ही में दौरा भी इसी लिए किया था लेकिन मकसद में कामयाबी नहीं मिली. उन्होंने कहा कि अरुण जेटली ने बुधवार को जो प्रेस कांफ्रेंस कर राज्य के लिए रुख अपनाया उससे उन्हें बहुत दुख हुआ और निराशा हुई. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपने निर्णय से पहले विचार करने का प्रयास किया लेकिन प्रधानमंत्री उनके लिए उपलब्ध नहीं थे. नायडू ने कहा कि चार साल तक हमने इंतजार किया लेकिन अब और इंतजार मुमकिन नहीं.
विशेष राज्य का दर्जा वैधानिक नहीं : जेटली : इन सभी आशंकाओं के चलते वित्त मंत्री अरु ण जेटली ने भी बुधवार को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे पर सरकार रु ख स्पष्ट किया. जेटली ने कहा कि केंद्र एक विशेष श्रेणी राज्य के बराबर आंध्र प्रदेश की वित्तीय सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि वह इस आंकलन से सहमत हैं कि राज्य के बंटवारे के बाद आंध्र प्रदेश आर्थिक रूप से जूझ रहा है. उनकी सरकार केंद्र सरकार द्वारा विभाजन के समय किए गए वादे को लेकर प्रतिबद्ध है. विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की नायडू की मांग पर जेटली ने कहा कि जिस समय राज्य का बंटवारा हुआ, उस समय यह दर्जा दिया जा सकता था. लेकिन, 14वें वित्त आयोग के बाद ऐसा कोई भी दर्जा सिर्फ नॉर्थ ईस्ट और पहाड़ी राज्यों के लिए ही वैधानिक है.
क्या है टीडीपी की नाराजगी : तेदेपा का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यसभा में दिए आश्वासनों को पूरा करने में नाकाम रही है. राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया था. पार्टी का कहना है कि भाजपा के साथ गठबंधन इसलिए किया गया था ताकि राज्य के साथ न्याय हो सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पार्टी की ओर से कहा गया है कि मुख्यमंत्री नायडू 29 बार दिल्ली गए, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मिले, राज्य से जुड़े मामलों पर कई बार अनुरोध किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. आंध्र प्रदेश को अवैज्ञानिक तरीके से विभाजित किया गया, जिससे आज कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी के मुताबिक केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश के लोगों की भावनाओं को नहीं समझ रही है. चार साल से राज्य के लोग अपने साथ इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे थे. हाल ही में पेश हुए एनडीए सरकार के आखिरी पूर्ण बजट में भी आंध्र प्रदेश को फंड नहीं दिया गया.
मोदी सरकार की दुविधा
अगर नियमों में बदलाव करके तेदेपा की मांग को मान लिया तो बिहार, झारखंड जैसे अन्य राज्य भी इस तरह की मांग कर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. इसलिए मोदी सरकार तेदेपा की मांग के आगे किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है.
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