लोकपाल चयन समिति की बैठक में शामिल होने से कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने किया इंकार
लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को लोकपाल चयन समिति की बैठक में आने से मना कर दिया है.
![]() कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे |
कांग्रेस ने आज लोकपाल चयन समिति की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने इस बैठक में ‘विशेष आमंत्रित सदस्य’ की हैसियत से शामिल होने से इंकार कर दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए एक पत्र में खडगे ने कहा कि ‘विशेष आमंत्रित के रूप में निमंत्रण’ लोकपाल चयन के मामले में विपक्ष की आवाज को दबाने का एक प्रयास है.
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अनुसार सिर्फ लोकसभा में विपक्ष का नेता ही चयन समिति का सदस्य होता है और खडगे विपक्ष के नेता नहीं है.
सरकार ने उन्हें चयन समिति की बैठक में आज विशिष्ट आमंत्रित के रूप में हिस्सा लेने के लिए बुलाया था.
खडगे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘विशेष तौर पर भेजा गया निमंत्रण सबसे जरूरी भष्टाचार विरोधी निगरानी समूह की चयन प्रक्रिया से विपक्ष की आवाज को बाहर करने का एक सम्मिलित प्रयास है.’’
कांग्रेस नेता ने कहा है कि यह लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की मूल भावना का उल्लंघन है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के रास्तों का सहारा लेकर सरकार ‘ सिर्फ कागजी औपचारिकता’ पूरी कर रही है न कि सार्थक या तर्कसाध्य भागीदारी तलाश रही है.
खडगे ने कहा है कि अगर सरकार भष्टाचार विरोधी निगरानी समूह की नियुक्ति को लेकर गंभीर है तो उसे एक संशोधन विधेयक के रूप में अध्यादेश लाना चाहिए. उन्होंने इसे भी अपने खत के साथ भेजा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि जब सरकार एक अन्य अधिनियिम में संशोधन लाकर ‘विपक्ष के नेता’ के स्थान पर विपक्ष के ‘सबसे बडे दल के नेता’ के लिए व्यवस्था कर सकती है तो फिर लोकपाल अधिनियिम के संबंध में ऐसा क्यों नहीं किया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी बैठक में हिस्सा लेने का अधिकारी हुए बिना विशेष आमंत्रित व्यक्ति के तौर पर मेरी उपस्थिति, मेरे उसमें व्यक्त विचार और मतदान , मात्र एक ढकोसला होगा जिसका लक्ष्य यह दिखाना है कि चयन प्रक्रिया में विपक्ष ने हिस्सा लिया था.’’
इस मामले में उच्चतम न्यायालय के 23 फरवरी के आदेश के बाद आज लोकपाल चयन समिति की बैठक बुलाई गई है.
खडगे ने यह भी आरोप लगाया कि यह सरकार सिर्फ लोकपाल की नियुक्ति के उद्देश्य और उसकी भावना को ‘कमतर’ करना चाहती है और साथ ही विपक्ष को इसमें भागीदारी करने, अपनी आवाज उठाने और विचार रखने से वंचित करना चाहती है.
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं कहना चाहता हूं कि इस तरह की अदूरदर्शी कार्रवाई राष्ट्र निर्माण के कार्य के साथ साथ लोकपाल जैसी संस्था की स्थापना के प्रयास के साथ पूर्ण न्याय नहीं करती. देश के प्रधानमंत्री से एक राजनेता की भांति व्यवहार की अपेक्षा है.’’
खडगे ने पत्र की समाप्ति यह कहते हुए की, ‘‘ इन परिस्थितियों में लोकपाल अधिनियिम 2013 की पवित्रता को बनाए रखने के लिए मुझे विशेष आमंत्रित व्यक्ति के तौर पर मिले निमंत्रण को जरूर अस्वीकार करना चाहिए क्योंकि मौजूदा प्रविया ने एक प्रवित्र कार्यपद्धति को झूठे राजनीतिक दिखावे मात्र तक सीमित कर दिया है.’’
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