सरकार ने बताया कि उसने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से पर चीन द्वारा एक विशाल बांध परियोजना का निर्माण कार्य शुरू करने की खबरों का संज्ञान लिया है।

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तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है।
राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि इस परियोजना को पहली बार वर्ष 1986 में सार्वजनिक किया गया था और तब से ही चीन में इसकी तैयारियां चल रही थीं।
उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के निचले भाग पर चीन द्वारा विशाल बांध परियोजना के निर्माण कार्य प्रारंभ करने की खबरों का संज्ञान लिया है।”
विदेश राज्य मंत्री ने कहा ‘‘भारत सरकार चीन द्वारा पनबिजली परियोजनाओं के विकास सहित ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी घटनाक्रमों पर सतर्कता से नजर रखती है, और हमारे हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं, जिनमें भारतीय नागरिकों के जीवन और आजीविका की सुरक्षा के लिए निवारक और सुधारात्मक उपाय भी शामिल हैं।”
सिंह ने कहा कि सीमा पार नदियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चीन से वार्ता एक विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र के अंतर्गत की जाती है, जिसकी स्थापना 2006 में हुई थी। साथ ही राजनयिक माध्यमों से भी संवाद किया जाता है।
सिंह ने कहा, “एक निचले प्रवाह वाले देश के रूप में, जिसके पास सीमा-पार नदियों के जल के उपयोग के पर्याप्त अधिकार हैं, भारत सरकार ने चीनी पक्ष के समक्ष बार-बार अपनी राय और चिंताएं व्यक्त की हैं, जिनमें पारदर्शिता और संबद्ध देशों से परामर्श की आवश्यकता पर बल दिया गया है। साथ ही यह आग्रह भी किया गया है कि ऊपरी हिस्सों में की जाने वाली किसी भी गतिविधि से नीचे स्थित राज्यों के हित प्रभावित न हों।”
उन्होंने बताया कि सीमा-पार नदियों पर सहयोग की आवश्यकता का मुद्दा भारत ने चीन के साथ कई द्विपक्षीय वार्ताओं में उठाया है, जिनमें हाल में 14-16 जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान विदेश मंत्री की चीन यात्रा भी शामिल है।
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