बैंकों का पैसा हड़पने वालों से अब निपटेगी सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और धनशोधन
बैंकों से कर्ज लेकर चम्पत होने या जानबूझ कर कर्ज न लौटाने वालों से वसूली के लिए सरकार ने और कड़े कदम उठाए हैं. इन खातेदारों से सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और धनशोधन कानून निपटेगा.
![]() सीबीआई (फाइल फोटो) |
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को सभी सरकारी बैंकों से कहा है कि 15 दिन के भीतर ऐसे कर्जदारों को पता लगाएं जिन्होंने 50 करोड़ रुपए के अधिक का कर्जा लिया और उसकी वापसी नहीं की. ऐसे सभी खातों को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपे. अभी तक देश के विभिन्न बैंकों का एनपीए बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए हो गया है. अभी तक बैंकों का ध्यान भी बड़े कर्जदारों की तरफ जाता था जबकि 50 से 100 करोड़ रुपए का लोन लेकर उसे फंसाने वालों की संख्या बड़ी है.
दरसअल, पंजाब नेशनल बैंक में अरबपति जौहरी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी तथा उनसे संबद्ध कंपनियों द्वारा 12,700 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद यह निर्देश दिया गया है. इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बैंकों ने भी वसूली में अटके कर्जों को लेकर जांच एजेंसियों से संपर्क किया है. इसमें रोटोमैक समूह तथा सिंभावली शूगर्स के मामले शामिल हैं.
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशकों को बैंक में धोखाधड़ी का पता लगाने तथा ऐसे मामले को सीबीआई के पास भेजने का निर्देश दिया गया है. सचिव ने कहा है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशकों को बैंक में धोखाधड़ी का पता लगाने तथा ऐसे मामले को सीबीआई के पास भेजने का निर्देश दिया गया है. उन्हें धोखाधड़ी की आशंका वाले 50 करोड़ रुपए से अधिक के एनपीए वाले सभी खातों की जांच करने को कहा गया है. बैंकों को मनी लांड्रिंग निरोधक कानून पीएमएलए, फेमा या निर्यात आयात नियमों के उल्लंघन से जुड़े मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (राजस्व खुफिया निदेशालय) को शामिल करने को कहा गया है. मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से धोखाधड़ी का तुरंत पता लगाने और निर्धारित समय सीमा में कार्रवाई करने को कहा गया है.
कुमार ने कहा कि संबंधित बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी को शिकायत की जांच करनी होगी और 50 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी की जांच में सीबीआई के साथ समन्वय करना होगा. साथ ही बैंकों को केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) से एनपीए होने वाले खातों के संदर्भ में कर्जदार की स्थिति रिपोर्ट मांगेंगे और सीईआईबी को एक सप्ताह में इसका जवाब देना होगा.
क्या है एनपीए
एनपीए यानि गैर निष्पादित अस्तियां, बैंकों से जारी किया गया वह ऋण है जिसकी उगाही की संभावना कम हो जाती है. कुछ व्यवसायी या सामान्य व्यक्ति बैंक से ऋण लेते हैं और फिर उसे वापस न करने की तिकड़में खोजते हैं. ऋण वसूली के लिए बैंक अनेक कानूनी प्रक्रिया अपनाता है. ऐसे ऋणों को बैंक एनपीए में डाल देता है. चूंकि हमारे देश में एनपीए की वसूली के लिए कड़े कानून नहीं थे, इसलिए एनपीए बढ़ता चला गया और आज दस लाख करोड़ रुपए का कर्ज एनपीए में पड़ा है.
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