गुजरात दंगा: जकिया जाफरी की याचिका पर फैसला टला

Last Updated 08 Sep 2017 02:08:44 PM IST

मोदी को गुजरात दंगों में क्लिन चिट देने को चुनौती देने वाली अर्जी पर फैसला 26 सितंबर तक टला.


गुजरात दंगा: जकिया जाफरी की याचिका पर फैसला टला

गुजरात हाई कोर्ट ने 27 फरवरी 2002 को राज्य के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगाये जाने की घटना के बाद फैले राज्यव्यापी दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी को उच्चतम न्यायालय की देखरेख में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से दी गयी क्लिन चिट को चुनौती देने वाली दंगा पीडित तथा इसमें मारे गये पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी की याचिका पर अपने फैसले का आज एक बार फिर टाल दिया.

हाई कोर्ट की एकल पीठ की न्यायाधीश न्यायमूर्ति (श्रीमती) सोनिया गोकाणी ने सभी पक्षों से इस संबंध में कुछ तकनीकी पूछताछ के बाद मामले की अगली तिथि 26 सितंबर तय कर दी. समझा जाता है कि अदालत उस दिन फैसला सुना सकती है.

अदालत में जाकिया के वकील मिहिर देसाई ने आज कहा कि इस याचिका को श्री जाफरी समेत 69 लोगों की मौत से संबंधित 28 फरवरी 2002 के अहमदाबाद गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार के साथ जोड कर देखना ठीक नहीं है. उधर एसआईटी के वकील ने दोहराया कि एसआईटी जांच चूकि उच्चतम न्यायालय की देखरेख में हुई थी और इसे लगभग सभी लोगों ने स्वीकार किया था इसलिए इसकी रिपोर्ट को चुनौती देना सही नहीं है.

ज्ञातव्य है कि इस मामले में पिछली कुछ तिथियों से फैसला आने की अटकले लगती रही हैं पर कुछ तकनीकी कारणों से ऐसा नहीं हो पाता है. गुजरात दंगे के आधा दर्जन से अधिक बडे मामलों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने 2012 में अपनी क्लोजर रिपोर्ट में श्री मोदी को क्लिन चिट दे दी थी.

इसे दिसंबर 2013 में यहां की एक निचली मेट्रोपोलिटन अदालत ने मान्य रखा था. इसको चुनौती देते हुए श्री मोदी तथा कई अन्य नेताओं, नौकरशाहों समेत 50 से अधिक लोगों को वृहद षडयां का आरोपी बनाने की मांग करते हुए श्रीमती जाफरी ने 18 मार्च 2014 को हाई कोर्ट में विशेष याचिका दायर की थी.

इस पर सुनवाई अगस्त 2015 से शुरू हुई थी. उनका आरोप था कि निचली अदालत ने बिना सभी पहलुओं पर विचार किये ही क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था. विवादास्पद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड से संबंधित एक एनजीओ ने भी ऐसे की एक याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट दोनो पर एक साथ सुनवाई कर रही है.

ज्ञातव्य है कि गुजरात दंगों के बडे मामलों में से एक यहां स्थित गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में भीड ने श्री जाफरी समेत 69 लोगों को जला डाला था.

इस प्रकरण में एसआईटी की एक विशेष अदालत ने पिछले साल 17 जून को 24 दोषियों में से 11 को उम्रकैद, एक को दस साल तथा अन्य 12 जिसमें वि हिन्दू परिषद नेता अतुल वैद्य शामिल थे, को सात सात साल की सजा सुनायी थी. इस मामले में कुल 66 आरोपी थे जिनमें से छह की सुनवाई के दौरान मौत हो गयी थी. शेष 36 को अदालत ने बरी कर दिया था. श्रीमती जाफरी ने इस फैसले को भी चुनौती दे रखी है.
 

नेहा अवस्थी/वार्ता


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