Video:सरदार सरोवर बांध: अनशन पर बैठी मेधा पाटकर ICU में, स्थिति खतरे से बाहर

Last Updated 08 Aug 2017 09:23:35 AM IST

सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के लिए पिछले 12 दिन से अनशन पर बैठने के बाद मध्यप्रदेश के इंदौर के एक निजी अस्पताल की आईसीयू में भर्ती की गईं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की स्थिति अब खतरे से बाहर है.


सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर (फाइल फोटो)

सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के लिए पिछले 12 दिन से अनशन पर बैठने के बाद मध्यप्रदेश के इंदौर के एक निजी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती की गईं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की स्थिति अब खतरे से बाहर है.

सुश्री पाटकर को कल देर रात कड़ी सुरक्षा के बीच यहां के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
           
अस्पताल के आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि सुश्री पाटकर को कल देर रात धार से एंबुलेंस में लाया गया. उन्हें सीधे आईसीयू में भर्ती कराकर चिकित्सकों की टीम ने इलाज शुरू कर दिया. सुश्री पाटकर की स्थिति खतरे से बाहर है.
            
इस बीच जिला प्रशासन ने अस्पताल परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया है. सुश्री पाटकर से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा. पुलिस ने अन्य लोगों के साथ सुश्री पाटकर के साथ आई उनकी दो सहयोगी कार्यकर्ताओं संगीता चौहान और निर्मला जामौद को भी अस्पताल के आईसीयू कक्ष के बाहर रोक दिया.
            
दोनों कार्यकर्ताओं ने बताया कि सुश्री पाटकर बहुत कमजोर हो गई हैं. शुरुआत में उन्होंने सलाइन चढ़वाने से भी इंकार कर दिया था, लेकिन बाद में चिकित्सकों के कहने पर उन्हें सलाइन चढ़ाई गयी.
            
नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित परिवारों के उचित पुनर्वास की मांग को लेकर धार जिले के चिखल्दा में अनशन पर बैठी सुश्री मेधा पाटकर को कल शाम वहां से हटवाकर इंदौर के अस्पताल लाया गया था.

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, गिरफ्तार नहीं किया गया है.
       
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ट्वीट कर कहा,  मैं संवेदनशील व्यक्ति हूँ. चिकित्सकों की सलाह पर मेधा पाटकर जी व उनके साथियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, गिरफ्तार नहीं किया गया है. 
     
उन्होंने कहा कि मेधा पाटकर और उनके साथियों की स्थिति हाई कीटोन और शुगर के कारण चिंतनीय थी. इनके स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन के लिए हम प्रयासरत हैं.
     
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विस्थापितों के पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार ने नर्मदा पंचाट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन के साथ 900 करोड़ रूपये का अतिरिक्त पैकेज देने का काम किया.
       
इंदौर सम्भाग के आयुक्त संजय दुबे ने भी बताया था कि मेधा और अन्य अनशनकारियों को डॉक्टरों की लिखित रिपोर्ट के आधार पर धार जिले के चिखल्दा स्थित आंदोलन स्थल से उठाकर इंदौर, बड़वानी और धार के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है.
       
दुबे के मुताबिक डॉक्टरों में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लगातार 12 दिन तक अनशन के चलते मेधा और अन्य लोगों की जान को खतरा है.
        
संभाग आयुक्त ने बताया कि मेधा को इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वह होश में हैं और बातचीत कर रही हैं. उनके स्वास्थ्य की जांच की जा रही है. उनकी सेहत में सुधार के लिये डिप के जरिये जरूरी द्रव और दवाइयां उनके शरीर में पहुंचायी जा रही हैं.


        
इस बीच, इंदौर रेंज के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अजय शर्मा ने दावा किया कि पुलिस ने चिखल्दा में मेधा और अन्य लोगों को अनशन से उठाये जाने के दौरान बल प्रयोग नहीं किया. उन्होंने कहा कि मौके पर मौजूद लोगों ने इन्हें अनशन से उठाये जाने के दौरान धक्का-मुक्की कर उग्र प्रतिक्यिा दिखाई, जिससे सात पुलिस कर्मी घायल हुए, कुछ सरकारी गाड़ियों के कांच टूट गये और कुछ वायरलेस सेट गायब हो गये.
      
उधर, नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्रा ने अनशनकारियों पर पुलिस और प्रशासन की कार्यवाई को तानाशाहीपूर्ण बताया.
      
उन्होंने कहा कि मेधा और अन्य लोगों को बल प्रयोग कर अनशन से उठाया गया और उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराने के लिये उनकी सहमति नहीं ली गयी.    

 
दुबे ने बताया,   धरना स्थल पर अब स्थिति पूरी तरह से नियंतण्रमें है. 
      
हालांकि बांध के विस्थापितों के लिए संघर्ष कर रही हिम्शी सिंह ने धरना स्थल से बताया,   धरना स्थल पर कुल 12 लोग अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे.

पुलिस मेधा सहित उपवास पर बैठे छह लोगों को धरना स्थल से बलपूर्वक उठा कर ले गई. इनमें पांच महिलाएं एवं एक पुरूष है. 

देखें वीडियो:

 

भाषा/वार्ता


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