1 करोड़ के फ्लैट, 50 लाख गुजारा भत्ते के साथ तलाक

Last Updated 25 Apr 2017 06:17:55 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने भारी आर्थिक भत्ते के साथ 17 साल से पत्नी की यातनाओं के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ रहे पति की तलाक की चाहत को पूरा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पति से कहा कि वह एक करोड़ रुपए का फ्लैट पत्नी को खरीदकर दे तथा साथ में 50 लाख रुपए एकमुश्त गुजारा-भत्ता दे ताकि पत्नी सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सके.


1 करोड़ के फ्लैट, 50 लाख गुजारा भत्ते के साथ तलाक

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि पत्नी ने पति के खिलाफ लगातार झूठी शिकायतें कीं. स्थानीय पुलिस से लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को शिकायती पत्र लिखे. पुलिस ने जांच में पत्नी की शिकायतों को फर्जी पाया. पुलिस ने झूठी एफआईआर दर्ज करने के आरोप में पत्नी के खिलाफ आईपीसी की धारा 182 के तहत उलटा उसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी की झूठी शिकायतें निश्चित रूप से पति को बदनाम करने के मकसद से की गईं. इस तरह का फर्जीवाड़ा पति के खिलाफ क्रूरता है. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत यह क्रूरता के दायरे में आता है. हो सकता है कि पति के तलाक की याचिका दायर करने के परिणामस्वरूप पत्नी ने आवेश में यह कदम उठाया हो, लेकिन कानून किसी भी नागरिक को झूठी और मनगढ़ंत शिकायतें करने का इजाजत नहीं देता. पति को परेशान करने का यह हथकंडा शौहर को अलग रहने और तलाक पाने का हक देता है.

सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर के राज तलरेजा की अपील पर यह निर्णय दिया. राज का विवाह कविता तलरेजा से 1989 में हुआ था. अगले ही साल कविता ने बेटे को जन्म दिया. शादी के बाद लगभग दस साल तक मियां-बीवी पति के माता-पिता के साथ रहे. 1999 में दोनों ने अलग रहना शुरू किया, लेकिन एक साल बाद ही राज पत्नी से अलग रहने लगा और उसने तलाक की याचिका फेमिली कोर्ट में दायर की. इस याचिका के बाद पति के खिलाफ शिकायतों का अंबार लग गया.

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को गलत बताया. दोनों अदालतों ने पत्नी के उस बयान पर ज्यादा भरोसा जताया जिसमें कहा गया था कि उसका पति अलग रहने के बावजूद अकसर उसके पास आता है और वह उसके वैवाहिक दायित्वों को निभाती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि झूठी शिकायतों के ठोस प्रमाण को नजरअंदाज करके दोनों अदालतों ने महिला के बयान पर यकीन किया जो कानूनी रूप से जायज नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाहिता कविता जिस मकान में फिलहाल रह रही है, वह उसकी सास के नाम है. पति की माली हालत को देखते हुए उसे एक करोड़ का फ्लैट खरीदकर उसे दे.

विवेक वार्ष्णेय
समयलाइव डेस्क ब्यूरो


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