सुकमा हमला: गांववालों ने की थी रेकी, 300 हमलावरों में बड़ी संख्या में थीं महिला नक्सली
छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को 300 नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवानों पर घात लगाकर हमला किया. इन हमलावरों में बड़ी संख्या में महिला नक्सली भी शामिल थीं.
![]() सुकमा हमला: हफ्ते भर पहले बनी थी योजना, गांववालों ने की थी रेकी |
अचानक हुए इस हमले के कारण जवानों को संभलने का मौका नहीं मिला और सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए. यह घातक हमला सोमवार अपराह्न् 12.30 बजे उस समय हुआ, जब 14वीं बटालियन चिंतागुफा के पास दोरनापाल के जंगली इलाके में पहुंची थी.
नक्सलियों के हमले का तरीका बिल्कुल पुराना था. उन्होंने कहा इस बार भी उन लोगों ने ग्रामीणों को ही अपना ढाल बनाया. उन्हीं के माध्यम से रेकी करवाई और इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया.
घायल जवान शेर मोहम्मद ने बताया कि नक्सलियों की तादाद करीब 300 थी. उन्होंने पहले गांववालों को हमारी लोकेशन का पता करने के लिए भेजा और फिर हमला बोला.
उन्होंने बताया कि रोड ओपनिंग के लिए सीआरपीएफ के 74वीं बटालियन के कुल 90 जवान निकले थे. नक्सलियों ने दो अलग-अलग जगहों पर घात लगा रखा था. हमला इतना जोरदार था कि जवानों को संभलने का मौका नहीं मिला.
तीन घंटे तक लगातार गोलीबारी जारी रही. नक्सलियों ने इस दौरान बारुदी सुरंग में भी विस्फोट किया.
हमले के वक्त 300 से अधिक नक्सली मौजूद थे, जो आधुनिक हथियारों से लैस थे. इनके पास अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर जैसे घातक हथियार भी थे. नक्सलियों के पास मोर्टार भी मौजूद था. जो रणनीति हमेशा अपनाते हैं वही अपनाई गई. जैसे ही जवान नक्सलियों के एंबुश की जद में आए नक्सलियों ने जबरदस्त बारूदी सुरंग विस्फोट कर दिया.
जवान जब तक संभल पाते पहाड़ियों में छिपे नक्सलियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी.
हफ्ते भर पहले बनी थी योजना
जवानों के ट्रैप करने के लिए नक्सलियों ने कई दिनों पहले ही पूरी प्लानिंग कर ली थी, लेकिन वो सही समय और मौके के इंतजार में थे. सूत्रों के अनुसार हमले के वक्त 300-350 से अधिक नक्सली मौजूद थे, जो अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे. नक्सलियों के पास मोर्टार और यूजीबीएल भी मौजूद था. तो वहीं इनमें 75 प्रतिशत महिला नक्सली बताई जा रही हैं.
कंपनी नंबर एक का कारनामा
भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो इस घटना को नक्सलियों कि मिलिट्री बटालियन की कंपनी नंबर एक ने अंजाम दिया है और इस पूरे हमले का नेतृत्व नक्सली नेता सीटू ने किया है. इस इलाके की पूरी कमान कुख्यात हिड़मा के हाथों में है लेकिन इसके अलावा अर्जुन और सीटू उर्फ सोनू भी यहां सक्रिय हैं. मुठभेड़ स्थल धुर नक्सल प्रभावी दुर्गम इलाका है.
एंबुश में फंसे जवान
बुरकापाल के निकट जिस स्थान पर जवान नक्सलियों के एंबुश में फंसे थे, उसके आसपास सुरक्षा बलों के कई कैंप हैं. बताया जा रहा है कि यहां हर पांच किमी में एक कैंप है. ऐसे में नक्सलियों ने चिंतागुफा थाने से महज डेढ़ किलोमीटर दूर ही जवानों को फंसाने के लिए एंबुश लगाया था.
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