आधा इधर से, आधा उधर से नहीं मिलेगा
आरक्षण के पक्ष-विपक्ष में दशकों से चली आ रही बहस के बीच केरल के 11 उम्मीदवारों ने उच्च जाति के प्रत्याशियों को आइना दिखा दिया.
![]() सुप्रीम कोर्ट |
ओबीसी श्रेणी के 11 उम्मीदवार लिखित परीक्षा में पास होकर इंटरव्यू के लिए क्वालीफाई कर गए जबकि सामान्य श्रेणी का एक भी उम्मीदवार कट ऑफ अंक पार नहीं कर पाया. ओबीसी कैटेगरी में बहुत अधिक हासिल करने वाले उम्मीदवार ने जब सामान्य श्रेणी में अपनी नियुक्ति मांगी तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया.
जस्टिस आर भानुमति और अजय खानविलकर की बेंच ने कहा कि केरल की ईवी दीपा ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) होते हुए अच्छे अंक पाए. लेकिन उसने ओबीसी को प्राप्त अधिकतम आयुसीमा में छूट का लाभ उठाया. इस कारण हाई रैंकिंग हासिल करने के बावजूद उसका चयन जनरल कैटेगरी में नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 26 साल की दीपा ने उस संवैधानिक प्रावधान को चुनौती नहीं दी है, जिसके तहत अधिकतम आयुसीमा में छूट हासिल करने वाले को जनरल कैटेगरी में चयन करने पर पाबंदी है. यदि सरकारी प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई होती तो हम उसके तर्क को सुनते और विधि सम्मत फैसला देते. लेकिन मौजूदा नियमों के अनुसार उसका चयन नहीं किया जा सकता.
दीपा ने केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय निर्यात निरीक्षण परिषद में प्रयोगशाला सहायक के पद के लिए आवेदन किया था. धीवरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली दीपा को ओबीसी श्रेणी में रखा गया था. परीक्षा में उसे 82 अंक हासिल हुए. लेकिन 93 अंक प्राप्त करने वाली सेरेना जोसेफ का ओबीसी श्रेणी के तहत चयन कर लिया गया.
चयन मंडल परीक्षा परिणाम देखकर उस समय दंग रह गया, जब सामान्य श्रेणी का एक भी सदस्य न्यूनतम अंक 70 हासिल नहीं कर पाया. लिहाजा जनरल कैटेगरी के लिए किसी भी उम्मीदवार की नियुक्ति नहीं की जा सकी. इसके विपरीत ओबीसी वर्ग के 11 उम्मीदवार साक्षात्कार तक पहुंचने में कामयाब हो गए.
दीपा ने केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर करके कहा कि सामान्य श्रेणी की सीट के लिए योग्य उम्मीदवार के अभाव में उसे जनरल कैटेगरी में नियुक्त किया जाए. वैसे भी, डीओपीटी द्वारा जारी नियमावली में साफतौर पर कहा गया है कि आरक्षित वर्ग का सदस्य यदि अपनी योग्यता से सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित कट ऑफ से अधिक अंक पाता है तो उसका चयन सामान्य श्रेणी के रूप में किया जाएगा, भले ही उसने अपना आवेदन आरक्षित वर्ग में भरा हो. दीपा ने कहा कि सामान्य श्रेणी के लिए कट ऑफ 70 है और उसने 82 अंक हासिल किए है.
लिहाजा उसका अधिकार सामान्य श्रेणी में बनता है.
सामान्य परिस्थितियों में दीपा की नियुक्ति जनरल कैटेगरी में की जा सकती थी. लेकिन उसने अधिकतम आयुसीमा में रियायत का लाभ लिया है, जो कि सिर्फ आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को ही मिलता है. जिस पद के लिए दीपा ने परीक्षा दी और सफलता भी पाई, वहां सामान्य वर्ग के उम्मीदवार की अधिकतम आयु यीमा 25 साल है. दीपा 26 साल की थी. ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवार को अधिकतम आयु सीमा में रियायत मिलती है, जिसका लाभ याची ने उठाया. इस कारण उसे सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता.
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