जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों से हटेगासशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम: उमरअब्दुल्ला

Last Updated 21 Oct 2011 01:29:33 PM IST

जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम व अशांत क्षेत्र अधिनियम को हटा लिया जाएगा.


जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि प्रदेश के कुछ इलाकों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) तथा अशांत क्षेत्र अधिनियम (डीएए) को हटा दिया जाएगा. हालांकि मुख्यमंत्री ने उन क्षेत्रों का नाम नहीं लिया जहां से कानून हटाये जाएंगे.

उमर ने इन कानूनों को हटाने के कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होने का आश्वासन देते हुए कहा कि हालांकि इस कदम से राज्य पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों के जवानों पर अतिरिक्त जिम्मेदारी रहेगी.

श्रीनगर के पास जेवान में पुलिस स्थापना दिवस पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, प्रदेश के कुछ हिस्सों से अगले कुछ दिन के भीतर कानूनों (एएफएसपीए तथा डीएए) को हटाने का वक्त आ गया है जिन्हें प्रदेश में उग्रवाद के बाद लागू किया गया था.

उमर ने कहा कि जैसे ही प्रदेश के शेष क्षेत्रों में हालात सुधरेंगे और उग्रवाद का असर खत्म होगा तो राज्य के सभी हिस्सों से इन कानूनों को हटा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पिछले साल पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों के शहीद होने के मामले कम होने से पता चलता है कि हालात में सुधार हुआ है.

उन्होंने कहा, मैं इस वक्त उन क्षेत्रों का नाम बताने की स्थिति में नहीं हूं. उमर ने कहा कि एएफएसपीए और डीएए को हटाने से राज्य पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों के जवानों पर अतिरिक्त जिम्मेदारी रहेगी. उन्होंने कहा, लेकिन मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि इन कानूनों को हटाने से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.

बताया जाता है कि नई दिल्ली में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृहमंत्री पी.चिदंबरम के साथ मुलाकात की थी. इसमें राज्य के कुछ इलाकों से एएफएसपीए को हटाने पर चर्चा हुई थी. इसी साल पांच मार्च को उमर ने विधानसभा में कहा था कि वे शांत इलाकों को अशांत क्षेत्र अधिनियम से बाहर करने के पक्ष में हैं.
 
उमर ने कहा कि देशभर में शहीद हुए 635 जवानों में से आतंकवाद का शिकार रहे जम्मू-कश्मीर में केवल 18 मामले थे वहीं दिल्ली जैसे छोटे प्रदेश में 15 मामले रहे. यह हालात में सुधार को बयां करता है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों को पूरे प्रदेश के हालात में सुधार बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.

कश्मीर में 2008 से 2010 तक अशांति के बाद 2011 में शांति के माहौल का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, पिछले तीन साल में मैंने एक चीज सीखी कि अगर आज अच्छा है तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कल भी अच्छा होगा. हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी कि 2012 भी 2011 की तरह अच्छा रहे.
 



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