सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ जंग अब होगी आसान, सीरम इंस्टीट्यूट लॉन्च करेगा स्वदेशी टीका

Last Updated 01 Sep 2022 04:40:17 PM IST

देश में सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ जंग अब और आसान होगी। सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत को पहली स्वदेशी वैक्सीन मिलने जा रही है।


सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने गुरूवार को कहा कि गर्भाशय ग्रीवा (सर्विकल) कैंसर की रोकथाम के लिए पहला स्वदेश विकसित ‘क्वाड्रीवैलेंट’ ह्यूमन पैपिलोमा वायरस’ (एचपीवी) टीका जल्द ही 200 से 400 रुपये के किफायती दाम पर लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगा।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह टीकों की वैज्ञानिक प्रक्रिया पूरी होने की घोषणा के लिए आयोजित समारोह में शामिल हुए। सिंह ने कहा कि टीका किफायती होगा और सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि यह आमजन को उपलब्ध हो।

वैज्ञानिक प्रक्रिया पूरी होने का अर्थ है कि टीके से संबंधित अनुसंधान एवं विकास कार्य पूरा हो चुका है और अब अगला चरण उसे आमजन के लिए उपलब्ध कराना है।

सिंह ने समारोह में कहा कि कोविड ने स्वास्थ्य देखभाल को लेकर जागरूकता बढ़ाई है जिसके कारण गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर जैसी बीमारियों के टीके विकसित किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने हमें निवारक स्वास्थ्यसेवा के बारे में सोचने पर मजबूर किया और अब हम इसे वहन कर सकते हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने इस मामले में अग्रणी भूमिका निभाई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वैज्ञानिक प्रयासों को कभी-कभी वह पहचान नहीं मिल पाती जिसके वे हकदार होते हैं। यह समारोह वैज्ञानिक प्रक्रिया के पूरा होने का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया गया।’’

पूनावाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का टीका किफायती होगा और यह 200 से 400 रुपये में उपलब्ध होगा। बहरहाल, अंतिम कीमत अभी तय नहीं की गई है।’’

पूनावाला ने कहा कि ‘‘गर्भाशय ग्रीवा का टीका अन्य टीकों की तुलना में बहुत किफायती होगी। उन्होंने कहा कि टीका संभवत: इस साल के अंत में पेश किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पहले सरकार के माध्यम से टीका उपलब्ध कराया जाएगा और अगले साल से कुछ निजी भागीदार भी इसमें शामिल होंगे।

पूनावाला ने कहा कि उनकी योजना 20 करोड़ खुराक तैयार करने की है और पहले भारत में टीका उपलब्ध कराया जाएगा और उसके बाद ही इसे अन्य देशों की जरूरतें पूरी करने के लिए उसे निर्यात किया जाएगा।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश गोखले ने कहा कि इस टीके को विकसित करने की प्रक्रिया में देश भर में 2,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के अनुसंधान में निजी-सार्वजनिक साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण होती जा रही है, यह सह-निर्माण दुनिया में बदलाव लाने वाला है।’’

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक डॉ एन कलैसेल्वी ने कहा कि यह इस क्षेत्र में पहला अहम कदम एवं अनुसंधान है और यह आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने इस प्रकार के नवोन्मेष के लिए अत्यधिक सावधानी बरती है, ताकि हम ‘आत्मनिर्भर’ बन पाए।

अधिकारियों के मुताबिक, एचपीवी टीका सेरवावैक ने एचपीवी के सभी लक्षित प्रकारों के खिलाफ निर्धारित आधार से करीब 1,000 गुना अधिक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया प्रदर्शित की।

भारत में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर 15 से 44 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं में दूसरा सर्वाधिक संख्या में पाया जाने वाला कैंसर है।

भाषा
नई दिल्ली


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