यमुना के जहरीले झाग में नहाने से हो सकती है त्वचा संबंधी बीमारियां : विशेषज्ञ

Last Updated 09 Nov 2021 10:35:34 PM IST

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बुधवार को छठ पूजा से पहले श्रद्धालुओं को यमुना नदी में स्नान करने से त्वचा की जलन और इसके जहरीले झाग से एटॉपिक डर्मेटाइटिस को लेकर चेताया है।


यमुना के जहरीले झाग में नहाने से हो सकती है त्वचा संबंधी बीमारियां : विशेषज्ञ

आरएमएल अस्पताल में त्वचा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. कबीर सरदाना ने कहा कि नदी के जहरीले झाग में नहाने से त्वचा सूख सकती है और गंभीर एक्जिमा हो सकता है।

औद्योगिक प्रदूषकों के कारण यमुना नदी में अमोनिया और फॉस्फेट का स्तर खतरनाक दर से बढ़ रहा है, जिससे कई स्थानों पर पानी में खतरनाक झाग बन रहा है।

एक अन्य प्रमुख त्वचा विशेषज्ञ, डॉ. दीपाली भारद्वाज ने कहा कि इस खतरनाक झाग के संपर्क में आने से त्वचा की एलर्जी, जलन और कई प्रकार की त्वचा संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं।

उन्होंने कहा कि मधुमेह और थायराइड जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों के पारिवारिक इतिहास (फैमिली हिस्ट्री) वाले लोग निश्चित रूप से इसे जल्दी ही और विभिन्न रूपों में अनुभव कर सकते हैं। साथ ही पानी में औद्योगिक प्रदूषण से विटिलिगो या अन्य ऑटोइम्यून बीमारियां शुरू हो सकती हैं।



उन्होंने कहा, "त्वचा का कैंसर आम बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण जैसे तपेदिक, वायरल मस्से आदि के अलावा भी हो सकता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।"

कैंसर विशेषज्ञ डॉ अंशुमान कुमार ने कहा, "अगर अमोनिया की उच्च सांद्रता वाले इस पानी को निगल लिया जाए, तो ये रसायन फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं और टाइफाइड जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "सीसा, पारा और आर्सेनिक जैसी भारी धातुओं के लंबे समय तक संपर्क में रहने से बाल झड़ना, आंखों से संबंधी शिकायत और हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।"

जानकारों के मुताबिक यमुना में स्नान करने से पहले श्रद्धालुओं को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।

सरदाना ने कहा, "भक्तों को नदी में जाने से पहले नारियल का तेल लगाना चाहिए, क्योंकि यह कुछ समय के लिए बाधा बन जाता है और त्वचा की जलन को रोक सकता है।"

उन्होंने सलाह देते हुए कहा, "सिंथेटिक कपड़े पहनने से बचें क्योंकि ये एलर्जी पैदा करते हैं। सूती कपड़े आदर्श होते हैं। एक पुरानी पोशाक सही रह सकती है, क्योंकि इससे रासायनिक प्रेरित एलर्जी की संभावना कम होती है।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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