UNGA President Election: रूस की गुप्त मतदान की मांग के बाद संरा महासभा ने जर्मनी की पूर्व विदेश मंत्री को अगला अध्यक्ष चुना
UNGA President Election: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुप्त मतदान की रूस की मांग के बीच जर्मनी की पूर्व विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक (Annalena Baerbock) को 193 सदस्यीय विश्व निकाय का अगला प्रमुख चुना।
![]() एनालेना बेयरबॉक |
बेयरबॉक को 167 वोट मिले जो कि जीत के लिए आवश्यक 88 वोटों से लगभग दोगुने हैं जबकि उच्च पदस्थ जर्मन राजनयिक हेल्गा श्मिड को लिखित रूप में सात वोट मिले वहीं 14 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया।
जर्मनी ने महासभा के अध्यक्ष पद के लिए श्मिड को नामित किया था, लेकिन हाल में हुए चुनाव में देश के विदेश मामलों के प्रमुख के पद से बेयरबॉक की हार के बाद उन्हें ही नामित किया। इस निर्णय की जर्मनी में आलोचना भी की गई थी।
जब 15 मई को बेयरबॉक अपनी उम्मीदवारी पर चर्चा करने के लिए महासभा के समक्ष उपस्थित हुईं तो संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोलियांस्की ने उन पर हमला बोलते हुए कहा था, ‘‘सुश्री बेयरबॉक ने बार-बार अपनी अक्षमता, अत्यधिक पूर्वाग्रह और कूटनीति के बुनियादी सिद्धांतों की समझ नहीं होना साबित किया है।’’
पोलियांस्की ने उन पर ‘‘रूस विरोधी नीति’’ अपनाने का आरोप लगाया साथ ही इस बात पर संदेह व्यक्त किया कि वह महासभा की अध्यक्ष के रूप में ‘‘शांति और वार्ता के हित में कार्य करने में सक्षम होंगी।’’
बेयरबॉक ने गुप्त मतदान के रूस के अनुरोध की आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आभारी हूं... अधिकांश सदस्य देशों ने मेरी उम्मीदवारी के पक्ष में मतदान किया है और मैं इस चुनौतीपूर्ण समय में सभी सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।’’
बेयरबॉक सितंबर में 80वें सत्र की शुरुआत में कैमरून के पूर्व प्रधानमंत्री फिलेमोन यांग की जगह लेंगी। वह सितंबर के अंत में दुनियाभर के नेताओं की वार्षिक सभा और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के वर्षगांठ समारोह की अध्यक्षता करेंगी।
महासभा में अध्यक्ष पद के लिए प्रति वर्ष चुनाव होते हैं।
अध्यक्ष पद के लिए चुने जाने के बाद बेयरबॉक ने अपने भाषण में कहा कि उनके अध्यक्ष पद का विषय ‘‘बेटर टुगेदर’ होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया इस चुनौतीपूर्ण समय में ‘‘अनिश्चितता की राह पर है।’’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि बेयरबॉक ऐसे समय में अध्यक्ष का पद संभालेंगी, जब विश्व न केवल ‘‘संघर्षों, जलवायु आपदा, गरीबी और असमानता’’ का, बल्कि विभाजन और अविश्वास का भी सामना कर रहा है।
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