बाइडन प्रशासन भारत के कदमों से संतुष्ट
अमेरिका के शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि बाइडन के प्रशासन ने अमेरिकी जमीन पर अलगाववादी सिख नेता की हत्या की कथित साजिश में भारतीय अधिकारियों के शामिल होने के आरोपों पर भारत से जिस जवाबदेही की उम्मीद की थी, वह उसे लेकर अब तक उठाए गए कदमों से संतुष्ट है।
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अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने पिछले साल नवंबर में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया था। आतंकवाद के आरोपों में भारत में वांछित पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है।
उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया था। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने शीर्ष अमेरिकीं थिंक-टैंक ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ (सीएफआरके कार्यक्रम के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, ‘किसी भी रिश्ते में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं और इस मामले में यह संबंधों में पहली बड़ी लड़ाई हो सकती थी और शुक्र है कि हमने जैसी जवाबदेही की अपेक्षा की थी, प्रशासन अब तक उससे संतुष्ट है क्योंकि अमेरिका एवं हमारे नागरिकों के लिए यह अस्वीकार्य है।
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा, यह आपराधिक मामला है जिसमें अभियोग चलाया गया है। यदि इसमें सरकारी तत्व शामिल हैं, तो जवाबदेही होनी चाहिए। हम न केवल अपने आप से, बल्कि भारत से भी इस जवाबदेही की उम्मीद करते हैं। भारत ने एक जांच आयोग बनाया है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अभी तक जो कदम उठाए हैं उससे वह संतुष्ट हैं। मुझे लगता है कि प्रशासन संतुष्ट है, लेकिन हमें अब भी कई कदम उठाने हैं।’’
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रहे माइकल फ्रोमैन भी गार्सेटी के साथ इस चर्चा में शामिल हुए। फ्रोमैन ने कहा कि हर कोई ऐसा मान रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोबारा चुने जाएं।
‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने अज्ञात स्रेतों का हवाला देते हुए पिछले साल अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की कथित साजिश में ‘रिसर्च एंड एनालिसिसिंग’ (रॉ) के एक अधिकारी के शामिल होने का आरोप लगाया था।
भारत ने इन आरोपों को सिर से खारिज करते हुए कहा है कि रिपोर्ट में एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार’ आरोप लगाए गए हैं और मामले की जांच जारी है। शायद यह विमर्श नहीं सुना होगा कि भारत मानवाधिकारों के मामले में हमसे कहीं अधिक आगे है।
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