पाकिस्तान में बढ़ रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामले
आतंकियों को पनाह देने के आरोप में खलनायक बने पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन की वारदात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
![]() पाकिस्तान में बढ़ रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामले |
पाकिस्तान सेना की शान में गुस्ताखी करने वालों को सरेआम शिकार बनाया जा रहा है। ऐसी ही एक घटना में एक वरिष्ठ पत्रकार पर सरेआम हमला कर दिया गया। एक अन्य मामले में एक नेता ने अल्पसंख्यक डॉक्टर को सरेआम पीट दिया। जबकि बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों और आईएसआई के डेथ स्क्वायड पर सरेआम लोगों को अगवा कर यातनाएं देने और मौत के घाट उतारने के आरोप भी सामने आ रहे हैं।
हाल में एक पाकिस्तानी जनरल को प्रॉपर्टी डीलर कहने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार अयाज आमिर पर शुक्रवार की रात किए गए हमले की वारदात का विरोध तेज हो रहा है। एक मानवाधिकार संगठन ने इस वारदात पर कड़ी नाराजगी जताई है। पत्रकार पर उस समय अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया जब वह लाहौर में अपने घर लौट रहे थे। इस हमले को इस्लामाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सेमिनार के अगले दिन अंजाम दिया गया। जिसमे अयाज आमिर ने पाकिस्तान सेना के कामकाज पर सवाल खड़ा किया था। पाकिस्तानी सेना से कैप्टन के तौर पर रिटार्यड आमिर पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली के सदस्य भी रह चुके हैं।
ऐसी ही एक अन्य घटना में सिंध प्रांत के थारपारकर जिला में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के एक नेता गुलाम मोहम्मद जुनेजो ने पुलिस की मौजूदगी में ही डॉक्टर घनश्याम दास पर सरेआम हमला कर दिया। यह घटना इस्लाम कोट के हो रहे स्थानीय चुनावों के दौरान सामने आई है। जिसके विरोध में डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ ने काम बंद कर दिया है। इसके बाद पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार को लेकर आयोग गठित कर दिया हैं। जिसमे डा. सोहैब सुद्द्ले इस मामले की जांच करेंगे।
बलूचिस्तान में सरकार और सेना के खिलाफ उठने वाली आवाज दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की डेथ स्क्वायड सवालों के घेरे में है। आरोप है कि लोगों को सरेआम उनके घरों और शिक्षा संस्थानों तक से अगवा कर यातनाएं दी जाती है। बलूच मानवाधिकार आयोग की मासिक रिपोर्ट में ऐसे मामलों का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया है कि हाल के दिनों में सुरक्षाबलों ने 21 लोगों को अगवा कर लिया। लाहौर और बलूचिस्तान से अगवा लिए गए लोगों के शव भी बरामद किए गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षाबलों ने 4 जून को क्वेटा के कलात, खारन और खुजदार जिलों से शहजाद, अतीक और अहमद नामक युवकों को अगवा कर लिया। एक अन्य घटना में सुरक्षाबलों ने कराची विविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में स्नातकोत्तर छात्र कलीमुल्लाह नूर को कराची के जोहराबाद इलाके से अगवा कर लिया। इसी के साथ विविद्यालय के दो बलूच छात्रों को भी जबरन उठा लिया। जिनके नाम डोडा इलाही और गमशाद गनी थे। जिन्हें अज्ञात स्थान पर एक सप्ताह तक यातनाएं दी गई। विरोध बढ़ा तो 13 जून को उन्हें रिहा कर दिया गया।
हालात इस कदर बदतर हो गए हैं कि आवाम में दहशत बढ़ती जा रही है। निरंकुश हुए सुरक्षाबलों ने हाल ही में कैच जिले के अबसार गांव में रहने वाले हाफिज नामक युवक को भी अगवा कर अज्ञात स्थान पर रखा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डेथ स्क्वायड ने पंजगुर के इस्साई गांव से दो भाइयों इरशाद और शराफत को उनके घर से अगवा कर लिया। जिनकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है।
बलूचिस्तान में राजनीतिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और अन्य बुद्धिजीवियों का अचानक गायब होना आम बात हो गई है। आरोप है कि पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने आवाम से उठने वाली आवाज को दबाने के लिए अभियान चला रखा है। खैबर-पख्तूनख्वा इलाकों में इस तरह की वारदात की लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पाकिस्तानी मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार, वहां अल्पसंख्यक समुदाय की युवतियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हो रही है।
| Tweet![]() |