तनाव के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और जर्मनी के नेता चांसलर ओलाफ शोल्ज करेंगे रूस-यूक्रेन की यात्रा

Last Updated 05 Feb 2022 11:08:09 AM IST

फ्रांस के राष्ट्रपति और जर्मनी के चांसलर आगामी सप्ताह में रूस और यूक्रेन की यात्रा करेंगे। इस यात्रा से यूक्रेन को लेकर बढ़ते तनाव से निपटने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत कर इसका हल तलाशने के राजनयिक प्रयासों को बल मिलेगा।


फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों (file photo)

फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों सोमवार को मास्को और मंगलवार को कीव की यात्रा करेंगे, जबकि जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज 14 फरवरी को कीव और 15 फरवरी को मास्को की यात्रा करेंगे।

ये उच्च-स्तरीय यात्राएं ऐसे वक्त में हो रही हैं, जब चीन ने यूक्रेन को शामिल कर नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) को विस्तार करने से रोकने संबंधी रूस की मांग का समर्थन किया है। अमेरिका ने बृहस्पतिवार को क्रेमलिन पर आरोप लगाया कि रूस, यूक्रेन की सेना के एक फर्जी हमले की साजिश रच रहा है, ताकि इसके जवाब में मास्को इस पड़ोसी देश के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सके। अमेरिका ने इन दावों के समर्थन में विस्तृत जानकारी नहीं दी है, हालांकि रूस ने इन दावों को अस्वीकार किया है।

फ्रांस नाटो में एक प्रमुख सदस्य देश है और संभावित रूसी कार्रवाई के जवाब में गठबंधन की तैयारी के तहत रोमानिया में सैनिकों को भेज रहा है। मैक्रों भी पुतिन के साथ बातचीत पर सक्रिय रूप से जोर दे रहे हैं और उन्होंने हाल के हफ्तों में उनसे कई बार बात की है।

मैक्रों के कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि दोनों नेता सोमवार को प्रत्यक्ष मुलाकात करेंगे। मैक्रों भू-राजनीतिक परिदृश्य में अमेरिका से अलग रास्ता अपनाने की फ्रांसीसी परंपरा का पालन कर रहे हैं, साथ ही संकट के समय में अपनी छाप छोड़ने और यूरोप के हितों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं।

जर्मनी ने तनाव से निपटने के लिए विभिन्न राजनयिक प्रारूपों के महत्व पर जोर दिया है और यूक्रेन को हथियार भेजने से इनकार कर दिया है, जिससे कुछ सहयोगी नाखुश हैं। संकट के समय में बढ़ चढ़कर भागीदारी नहीं दिखाने के लिए जर्मनी में शोल्ज को आलोचना का भी सामना करना पड़ा है।

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘शीर्ष स्तर की यात्राएं सुरक्षा के क्षेत्र में चुनौतियों को गंभीरता से कम कर सकती हैं और क्रेमलिन (रूस के राष्ट्रपति कार्यालय) की योजनाओं को प्रभावित कर सकती हैं।’’


 

एपी
पेरिस


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