साहसी ब्लूच विद्रोहियों ने पाकिस्तान के तुरबत नौसैनिक ठिकाने को निशाना बनाया, लड़ाई का पांचवां दिन
पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत के ब्लूच लड़ाकों ने यहां के केच जिले में पाकिस्तानी नौसैनिक ठिकाने पर कई राकेट दागने का दावा किया है।
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इस प्रांत में यह पाकिस्तान का अहम नौसैनिक ठिकाना है और यहां से विवादित चीन पाकिस्तान कॉरिडोर के प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी की जाती है। ब्लूच लड़ाकों का यह दावा भी है कि उनके कब्जे में अभी भी सेना का पांगजुर शिविर है।
ब्लूचिस्तान नेशनल आर्मी (बीएलए) की माजिद ब्रिगेड ने पांगजुर में एफसी शिविर पर कब्जा कर लिया है और इसे 60 घंटे बीत गए हैं।
बीएलए ने शनिवार को टिवट्र पर जारी एक बयान में कहा कि पांच घंटे पहले पाकिस्तानी सेना के एसएसजी कमांडों ने इस शिविर में घुसने का प्रयास किया था लेकिन ब्लूच बहादुर फिदायीन ने उनका जमकर मुकाबला किया और उनके हमले को विफल कर दिया।
इससे पहले, एक अलग बयान में, बलूचिस्तान विद्रोही संगठन ने शुक्रवार को दावा किया था कि उसने पांगजुर शिविर पर एक पाकिस्तानी सैन्य ड्रोन को मार गिराया था। पांगजुर में गुरुवार से कर्फ्यू लगा दिया गया था और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाओं को स्थगित कर दिया था। इसलिए स्थिति के बारे में जानकारी मिलनी मुश्किल है है और पाकिस्तानी मीडिया को भी इस तरह की खबरों को 'अनदेखा' करने और केवल पाकिस्तानी सूत्रों द्वारा जारी किए गए बयानों को प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है।
ये हमले पाकिस्तान के सबसे सैन्यीकृत क्षेत्र अशांत ब्लूचिस्तान में सरकारी बलों के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती पेश करते हैं और पाकिस्तानी विशेषज्ञों ने इन हमलों को सुरक्षा व्यवस्था का जबर्दस्त उल्लंघन करार देते हुए कहा कि यह अस्वीकार्य है।
बुधवार देर शाम को, बीएलए विद्रोहियों ने पांगजुर और नोशकी में पाकिस्तानी फ्रंटियर कोर के शिविरों पर अच्छी तरह से समन्वित दो हमले किए । ब्लूच सूत्रों का दावा है कि इस साहसिक हमले में 100 से अधिक पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी मारे गए। पाकिस्तानी सेना नोशकी पर एक जवाबी हमले के बाद फिर से कब्जा करने में कामयाब रही। लेकिन वे स्पष्ट रूप से अभी भी पांगजुर शिविर पर नियंत्रण पाने के लिए लड़ रहे हैं।
दोनों हमले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के चीन पहुंचने से कुछ घंटे पहले शुरू हुए थे। पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, इन हमलों को चीन को एक संदेश भेजने और सीपीईसी परियोजनाओं के लिए अधिक धन के लिए चीन के साथ उनकी बातचीत को विफल करने के मकसद से अंजाम दिया गया था।
एक पाकिस्तानी अधिकारी ने एक प्रमुख मीडिया हाऊस को बताया, हमले बहुत अच्छी तरह से समन्वित थे और वे पाकिस्तान में चीनी हितों से जुड़े हुए हैं। श्री खान और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सीपीईसी पर चर्चा करनी है और इनसे यह दिखाना था कि पाकिस्तान एक सुरक्षित देश नहीं है।
गौरतलब है कि चीन ने हाल के वर्षों में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के माध्यम से अपने सुदूर पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र को ब्लूचिस्तान में ग्वादर के महत्वपूर्ण बंदरगाह से जोड़ने वाले बुनियादी ढांचा और ऊर्जा परियोजनाओं में अरबों डॉलर का निवेश किया है।
लेकिन यह बलूचिस्तान के लोगों को कुछ भी नहीं देता है और इसने ब्लूच लोगों के रोष को और बढ़ा दिया है जो पाकिस्तान सरकार द्वारा किए जा रहे अपने शोषण का विरोध कर रहे हैं। ब्लूचिस्तान में समावेशी विकास का अभाव है और यह अशांति के प्रमुख कारकों में से एक है। ब्लूच और उनकी मांगों की निरंतर अवहेलना से इस क्षेत्र के अशांत रहने से यहां चीनी निवेश के लिए खतरा बढ़ जाएगा।
ब्लूच स्वतंत्रता-समर्थक विद्रोही समूहों ने वर्षों से दक्षिण-पश्चिमी प्रांत में विद्रोह छेड़ रखा है। इनका गुस्सा इस बात को लेकर है कि यहां प्राकृतिक संसाधनों की बहुलता का दोहन पकिस्तान अपने हितों के लिए कर रहा है और इस क्षेत्र का अब तक समुचित विकास नहीं हुआ है जिससे यहां के लोगों को गुरबत में दिन काटने पड़ रहे हैं। यहां के प्राकृतिक संसाधनों के प्रचुर भंडार नागरिकों की गरीबी को कम करने में राहत नहीं दे रहे हैं।
कराची में चीनी वाणिज्य दूतावास और देश में अन्य जगहों सहित बलूचिस्तान में चीनी कामगारों और प्रतिष्ठानों के खिलाफ ऐसे हमलों ने चीनी अधिकारियों को हाई अलर्ट की स्थिति में डाल दिया है। इसने बलूचिस्तान प्रांत में उसकी चिंताओं को बढ़ा दिया है, जहां वह अपनी अति-महत्वाकांक्षी, कनेक्टिविटी-केंद्रित बेल्ट एंड रोड पहल पर काम करना जारी रखना चाहता है ।
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