Mokshda Ekadashi 2023 Date : मोक्षदा एकादशी पर करें पूरे विधि-विधान से पूजा, मिलेगी सभी पापों से मुक्ति

Last Updated 21 Dec 2023 09:18:55 AM IST

Mokshada Ekadashi 2023 : मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है।


Mokshda Ekadashi 2023 Date

Mokshda Ekadashi 2023 Date : एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय है इसलिए दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साल भर में 24 एकादशी होती हैं और इसमें एक है मोक्षदा एकादशी। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2023 ) के नाम से जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत कब पड़ेगा।  

22 या 23 दिसंबर कब है मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2023 kab hai)

इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 22 दिसंबर और 23 दिसंबर दोनों दिन रखा जाएगा। मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने वाले लोगों का जीवन खुशियों से भर जाता है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।  मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भक्तजन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा - पाठ करते हैं।  शास्त्रों के अनुसार जो लोग इस दिन पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति भाव से व्रत रख कर भगवान नारायण की उपासना करते हैं। उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है इस दिन श्री हरि की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्त होती है।

मोक्षदा एकादशी 2023 का मुहूर्त (Mokshda Ekadashi 2023 shubh muhurat)
एकादशी तिथि प्रारम्भ – दिसम्बर 22, 2023 को सुबह 07:35 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – दिसम्बर 23, 2023 को सुबह 07:56 बजे

मोक्षदा एकादशी के व्रत का पारण समय
मोक्षदा एकादशी व्रत खोलने का समय - 23 दिसंबर 2023 को दोपहर 1 बजकर 22 मिनट से दोपहर 3 बजकर 26 मिनट तक।
जो लोग 23 दिसंबर को व्रत रखेंगे वो व्रत का पारण 24 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 49 मिनट तक कर लें।

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi Puja Vidhi)

एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें।
घर के मंदिर में दीप जलाएं करें।
अब पीला कपड़े पहनकर भगवान विष्णु के सामने पीला पुष्प, पीला फल, धूप, दीप आदि चढ़ाएं।  
फिर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करें।
इसके बाद भगवान को भोग लगाएं।
भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।
 अब आरती के साथ पूजा संपन्न करें।  

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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