मध्यम मार्ग
अगर आप अभी मौजूदा चीजों के साथ जुड़ जाते हैं, और जो नहीं है, उसकी कल्पना नहीं करते तो फिर आपके भीतर डर की कोई गुंजाइश ही नहीं बचेगी।
मध्यम मार्ग |
आप जीवन का भरपूर आनंद तभी ले सकते हैं। आप अपने जीवन के साथ जो सबसे बड़ा अपराध कर सकते हैं, वह है-औसत दर्जे की जिंदगी जीना। इस तरह से जीवन जीकर आप जीवन के किसी भी छोर को नहीं छूते, न तो आप अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता तक पहुंच पाते हैं और न ही सबसे नीचे के बिंदु को छू पाते हैं। दोनों के बीच में ही कहीं भटकते रहते हैं। अगर आप यहां जीवन का अनुभव करने के लिए आए हैं, तो इसके लिए जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है, वह है-तीव्रता।
अगर आपके भीतर तीव्रता नहीं होगी, तो आप बहुत ही छोटे स्तर पर जीवन का अनुभव कर पाएंगे। जैसे ही आप अपने डर को अपनी सुरक्षा के रूप में इस्तेमाल करते हैं, आपकी तीव्रता कम हो जाती है। एक बार अगर तीव्रता कम हो गई तो फिर जीवन का अनुभव करने की क्षमता भी चली जाएगी। तब आप एक मनोवैज्ञानिक केस बन कर रह जाते हैं। आप इस बात पर जरा ध्यान दें कि आखिर, आपका डर किस बात को लेकर है। आप का डर उस बात के लिए नहीं होता, जो घटित हो चुका होता है बल्कि ‘क्या हो सकता है’ इसे लेकर आप डरते हैं। लेकिन यह अभी घटित नहीं हुआ है।
इसका मतलब है कि फिलहाल इसका कोई अस्तित्व नहीं है। फिर भविष्य को लेकर डरने का मतलब है कि आप उस चीज से पीड़ित हो रहे हैं, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। ऐसे में हम आपको पागल कहें या समझदार? आपके लिए एकमात्र सुकून की बात यह है कि आपके साथ बहुत से लोग हैं। लेकिन बहुमत होने से ही आप सही नहीं हो जाते, क्योंकि आप ऐसी चीज से परेशान हैं, जिसका अस्तित्व ही नहीं है। डर जीवन की देन नहीं है। डर भ्रमित मन की उपज है।
जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है, आप उस चीज से इसलिए डरते हैं क्योंकि आपकी जड़ें वास्तविकता की जमीन में नहीं धंसी हैं, बल्कि वे आपके मन में धंसी हैं, जो लगातार अतीत से ताकत पा रहा है और भविष्य को गंदा कर रहा है। वास्तव में आप भविष्य के बारे में कुछ नहीं जानते। आप अतीत का एक टुकड़ा लेकर उसे झाड़ पोंछकर उसे थोड़ा सजाकर सोचते हैं कि यह भविष्य है।
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