समर्पण

Last Updated 21 Dec 2020 12:46:01 AM IST

मित्रो! एक बार लैला ने मजनूं की परीक्षा लेनी चाही और जानना चाहा कि मजनूं कैसा है?


श्रीराम शर्मा आचार्य

पहले तो उसने ऐसा इंतजाम कर दिया कि उसको कुछ पैसे मिल जाया करें, दुकानदारों से खाने को मिल जाया करे। फिर उसने सोचा, ऐसा तो नहीं कि वह हरामखोर हो और फोकट का खा रहा हो। उसने अपनी बांदी से यह कहला भेजा कि लैला बहुत बीमार है। सुनकर मजनूं बड़ा दुखी हुआ। बांदी ने कहा-दुखी होने से क्या फायदा? आप कुछ मदद कीजिए न उनकी। उसने कहा-लैला को हम बहुत प्यार करते हैं। प्यार करते हो तो कुछ दीजिए न। मजनूं ने कहा-मैं क्या दूं? बांदी ने कहा-डॉक्टरों ने यह कहा है कि लैला की नसों में खून का एक प्याला चढ़ाया जाएगा, आप अपना खून देंगे क्या, जिससे कि लैला की जिन्दगी बचाई जा सके। मजनूं फौरन तैयार हो गया। उसने जो कटोरा बांदी लेकर आई थी, खून से लबालब भर दिया। बांदी जब खून लेकर चली, तब उसने बांदी से एक और बात कही-बांदी जल्दी आना, अभी कई कटोरे खून मेरे शरीर में है। वह मैं उसके सुपुर्द करूंगा, क्योंकि उससे मैं मुहब्बत करता हूं और मुहब्बत का मतलब होता है-देना।

बांदी जब एक कटोरा खून लेकर के गई, तो नकली मजनूं जो थे, सब भगा दिए गए। लैला ने अपने बाप से कह दिया-जो मुझसे इतनी मुहब्बत करता है और जो मुहब्बत की कीमत को समझता है, उसके ही साथ मैं रहूंगी। लैला और मजनूं की शादी हो गई।  आपकी भी शादी भगवान के साथ में हो सकती है, लेकिन करना क्या चाहिए? सिर्फ  एक बात करनी चाहिए कि भगवान की मर्जी पर चलने के लिए आप आमादा हो जाइए। भगवान जो आपसे चाहते हैं, उसको कीजिए। आपका चाहना भी ठीक है, लेकिन आप जो चाहते हैं, उससे पहले बहुत कुछ दे दिया है भगवान ने। आपको इनसान की जिन्दगी दी है और ऐसी जिंदगी दी है कि आप अपनी मनमर्जी पूरी कर सकते हैं। मनमर्जी के लिए कोई कमी नहीं है। अपनी दैनिक जरूरतों की भगवान से अपेक्षा मत कीजिए। आप अपनी हविश, अपनी तमन्नाओं, इच्छाओं, महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भगवान को मजबूर करेंगे कि कर्तव्य की बात को छोड़कर वह पक्षपात करने लगे और कर्मफल की महत्ता का परित्याग कर दे?



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