यांत्रिकता
एक निश्चित सीमा है जहां तक तुम शरीर को इसके खिलाफ खींच सकते हो, लेकिन यह हमेशा नहीं चल सकता।
आचार्य रजनीश ओशो |
तुम बहुत ज्यादा काम कर रहे होंगे। तुम्हारा शरीर उतना सहन नहीं कर सकता, इसे विश्राम चाहिए। बजाय इसके कि दो या तीन हफ्ते काम करके फिर दो-तीन हफ्ते आराम करो, पूरे छह हफ्ते काम करो और काम को आधा कम कर दो। साधारण गणित। यह बहुत खतरनाक है क्योंकि यह शरीर में कई नाजुक चीजों को नष्ट कर सकता है, लगातार बहुत ज्यादा काम करना और फिर थकना, और बिस्तर पर पड़ जाना और इस सबके बारे में बुरा अनुभव करना। अपनी गति कम करो, धीरे चलो, और इसको सब तरह से करो। उदाहरण के लिए जिस तरह से तुम चलते हो वैसे चलना बंद करो। धीमे चलो, धीमे स्वांस लो, धीमे बोलो। धीमे खाओ। तुम अक्सर बीस मिनट लेते हो तो चालीस मिनट लो। स्नान धीमे करो।
अक्सर दस मिनट लेते हो तो बीस मिनट लो। सारी की सारी गतिविधियों की गति आधी तक कम कर देनी चाहिए। यह केवल तुम्हारे व्यावसायिक कार्य का सवाल नहीं है। सारे चौबीस घंटों को कम करना है; गति को वापिस कम से कम पर, आधी पर लाना है। यह तुम्हारे सारे जीवन के ढांचे और आदतों का परिवर्तन होगा। धीमे बोलो, यहां तक कि पढ़ो भी धीमेपन से, क्योंकि मन सब चीजों को एक ही तरह से करना चाहता है। एक आदमी जो बहुत ज्यादा सक्रिय है तेजी से पढ़ेगा, तेजी से बोलेगा, तेजी से खाएगा; यह एक सनक है। जो कुछ भी वह कर रहा है, वह तेजी से करेगा, चाहे जरूरत ना भी हो। चाहे सुबह घूमने गया हो, वह तेजी से जाएगा। कहीं जा नहीं रहा है।
यह सिर्फ घूमना है, और तुम दो मील जाते हो या तीन, इससे फर्क नहीं पड़ता। लेकिन तेज गति से ग्रसित आदमी हमेशा तेजी में होता है। यह बस उसकी स्वचालित यांत्रिकता है, स्वचालित यांत्रिक व्यवहार। यह लगभग अन्तर्निहित हो जाता है। इसलिए इसे रोको। आज से, प्रत्येक चीज को आधा कर दो। ताइ-ची तुम्हारे लिए बहुत अच्छा होगा। तुम इसे बहुत ज्यादा पसंद करोगे। खड़ा होना है, धीरे से खड़े होओ; धीमे चलो, और यह तुम्हें बहुत गहरी जागरूकता भी देगा, क्योंकि जब तुम किसी चीज को बहुत धीरे से करते हो, उदाहरण के लिए, अपना हाथ बहुत धीरे से घुमाते हो, तुम इसे लेकर बहुत सतर्क हो जाते हो। इसे तेजी से घुमाओ और तुम इसे यांत्रिकता से करते हो।
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