सफलता

Last Updated 23 Dec 2020 02:57:58 AM IST

दुनिया के मुताबिक, सफलता का मतलब है कि आप अपने बगल में दौड़ रहे किसी व्यक्ति से थोड़ा तेज भाग रहे हैं।


सद्गुरु

मेरी सफलता की परिभाषा यह नहीं है। मेरे लिए, सफलता है, ‘क्या मैं खुद को पूरी तरह से इस्तेमाल कर पा रहा हूं? मैं जो हूं, क्या मैं  उसकी क्षमता की पूरी संभावना को खोज पा रहा हूं?’ इसके लिए आपको बोध और एक सक्रिय बुद्धि की जरूरत होती है। ‘मैं अपनी बुद्धि को कैसे बढ़ाऊं?’ इसकी चिंता मत कीजिए। लोग अपने मन की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश करते हैं। यह आपको सामाजिक तौर पर सफल बना सकता है, वास्तव में सफल नहीं। फिलहाल अपने बोध को बढ़ाना सबसे महत्त्वपूर्ण है।
अगर आप दूसरों से तेज चल रहे हैं, और आपका बोध अच्छा नहीं है, तो निश्चित रूप से आप दूसरों से अधिक परेशान और थके हुए होंगे क्योंकि आप हर चीज से टकराएंगे। अगर आप आज को बहुत स्पष्ट देखते हैं, तो आप लॉटरी टिकट बेचकर पैसे कमा सकते हैं। अगर आप कल को बहुत स्पष्ट देखते हैं, तो आप कल वापस बेचने की योजना बना कर, आज कुछ खरीद सकते हैं। अगर आप पचास साल बाद की स्थिति को बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते हैं तो आप कुछ बिल्कुल अलग कर रहे होंगे। जो लोग असफल हुए, वे भी योग्य, बुद्धिमान और काबिल थे। मगर अपने जीवन के कुछ खास पलों में खास चीजों को नहीं समझ पाए।

आपने गलत समय पर गलत प्रॉपर्टी खरीदी। आप गलत समय पर गलत बिजनेस में चले गए। इसलिए सफलता की तलाश मत कीजिए, बस अपनी क्षमता की तलाश कीजिए। जानिए  कि खुद को एक उच्च स्तर तक कैसे बढ़ाएं। अगर आपकी क्षमता का स्तर बड़ा है, तो आप जहां भी रहेंगे, आप कामयाब होंगे। अगर आप बहुत काबिल हैं, अगर आप क्षमता के एक खास आयाम तक खुद को विकसित करते हैं, तो सफलता आपके जीवन में कोई लक्ष्य ही नहीं होगी। आप जहां भी जाएंगे, वह आपके पीछे-पीछे आएगी। अगर एक इंसान महान संभावना और महान क्षमता विकसित करता है, तो पूरी दुनिया उसके पीछे जाएगी। आप दुनिया के पीछे जाएं, उससे बेहतर है कि लोग इसलिए आपके पास आएं क्योंकि आपके अंदर एक खास क्षमता और संभावना है।



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