ध्यान और रिश्ता

Last Updated 18 Dec 2020 12:27:05 AM IST

अगर आप मानव अस्तित्व की सबसे बुनियादी समस्या से निबटने की कोशिश करते हैं तो बाकी सभी समस्याएं तुच्छ और अर्थहीन नजर आती हैं।


जग्गी वासुदेव

अगर आप इस स्थिति तक नहीं पहुंचे हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन फिर भी जुकाम ठीक करने के लिए कीमो का इस्तेमाल करना ठीक नहीं। यह बेहद अफसोस की बात है कि जब आप ध्यान करते हैं, केवल तभी आपके मन में कुछ स्पष्टता रहती है, बाकी समय आपके मन में भारी हलचल या कोलाहल रहता है।

इसकी वजह है आपके भीतर बुनियादी तौर पर एक भ्रम है। हम ईशा क्रिया द्वारा इसको सरल तरीके से दूर करने की कोशिश करते हैं। क्रिया के दौरान कहा जाता है-‘न ही मैं शरीर हूं और न ही मन हूं।’ अगर आपने यह चीज अनुभव के स्तर पर समझ ली तो आपकी बाकी समस्याएं एक झटके में गायब हो जाएंगी। आज परिवार की किसी छोटी-मोटी समस्या ने अगर आपके होश उड़ा रखे हैं। इसे ठीक करने के लिए आप ध्यान का सहारा मत लीजिए। इसके लिए टहलिए, तैराकी कीजिए और अपना होश दुरुस्त कीजिए।

आखिरकार आपने अपने कल्याण के लिए अपने आसपास परिवार खड़ा किया है। अगर यह आपकी बेहतरी के खिलाफ काम कर रहा है, तो फिर आपको यह देखने की जरूरत है कि इस पूरे मामले में आप कहां गलती कर रहे हैं। क्या आपने परोपकार के लिए शादी की थी? आपने शादी इसलिए की थी कि आप अकेले नहीं रह सकते थे। आपकी दलील होगी, ‘अरे सद्गुरु , ये सब इतना आसान नहीं है। आप नहीं जानते कि हर दिन मेरे साथ क्या कुछ हो रहा है?’ मुझे ये सारी चीजें पता हैं। बल्कि आप अपनी जिंदगी का सही नजरिया खो रहे हैं।

आपका ध्यान रोजमर्रा की तुच्छ समस्याओं के हल के लिए नहीं हैं, बल्कि यह मानव अस्तित्व की सबसे बुनियादी समस्या से निबटने के लिए है। आप नहीं जानते कि आप इस दुनिया में क्यों आए हैं और आपके अस्तित्व की प्रकृति क्या है? अगर आप अपने अस्तित्व की मूल प्रकृति को जानते तो फिर ये सारी चीजें आपके लिए महज एक खेल होतीं। आप जिंदगी के इस खेल या नाटक को जब तक, जहां तक और जिस तरह खेलना चाहते, अपनी जरूरत के हिसाब से खेल सकते थे। हर व्यक्ति को एक ही तरह से, एक ही स्तर तक नाटक खेलने की जरूरत नहीं है।



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