ब्रह्मचर्य

Last Updated 13 Mar 2019 04:16:24 AM IST

ब्रह्मचर्य का अर्थ है एक मंद पवन, बयार की तरह होना-इसका मतलब है कि आप कहीं पर भी, ठहरते नहीं हैं। हवा हर जगह जाती है, लेकिन हम नहीं जानते कि इस समय ये कहां से आ रही है?


जग्गी वासुदेव

इसने अभी समुद्र को पार किया और यहां आई। ये अभी यहां है और अब आगे बह रही है। ब्रह्मचर्य का अर्थ है, बस जीवन होना-वैसे जीना जैसे आप जन्में थे-अकेले! अगर आप की मां ने जुड़वां बच्चों को भी जन्म दिया था, तो भी आप तो अकेले ही आए थे। ब्रह्मचर्य का अर्थ है-दिव्यता से अत्यंत निकटता से जुड़ना, और वैसे ही जीना।

ब्रह्मचर्य कोई महान कदम नहीं है। यह तो बस वैसे ही रहना है, जैसे जीवन है। शादी, विवाह एक बड़ा कदम है-आप कुछ बहुत बड़ा करने का प्रयत्न कर रहे हैं। कम-से-कम लोगों को तो ऐसा ही लगता है। ब्रह्मचर्य का अर्थ है, आप ने कुछ नहीं किया, अपने जीवन को आपने वैसे ही घटित होने दिया जैसे रचनाकार ने आपको बनाया- आप इसमें से कुछ और नहीं बनाते। तो इसमें कोई कदम नहीं उठाना है। अगर आप कुछ नहीं करते तो आप ब्रह्मचारी हैं। लेकिन इसके लिए साधना है, अभ्यास है, अनुशासन है, वह सब किसलिए हैं?

ये सब आपको बस, वैसे ही रहने में मदद करने के लिए हैं। इसका कारण यह है कि आपने इस पृथ्वी से बहुत कुछ लिया है, तो पृथ्वी के बहुत से गुण आप में आ जाते हैं, और आप पर अधिकार जमाते हैं। एक मूल गुण यह है कि जब आप पृथ्वी को शरीर के रूप में उठा लेते हैं, तो उसमें एक चीज आती है जड़ता! सुबह उठने पर भी जड़ता का अनुभव होता है (आप उठना नहीं चाहते)। अगर आप दिव्यता के पथ पर बढ़ना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आप पृथ्वी के गुणों के आगे न झुकें। एक बात जड़ता है, तो दूसरी है मजबूरीवश चलना। अगर आप पृथ्वी को शरीर के रूप में उठा लेते हैं तो आप पृथ्वी जैसे हो जाते हैं। यह आप को गोलाकार चक्करों में ले जाती है।

चक्रीय गति हर उस चीज का मूल आधार है, जिसे ब्रह्मांड में भौतिक कहते हैं। आप अगर एक गोल चक्र में घूमते हैं, चाहे वह कितना भी बड़ा हो, तो आप हमेशा वापस आते हैं, चाहे कोई आप को वापस न बुलाए। हमें नहीं पता कि ये दुनिया आप का यहां होना पसंद करती है, या नहीं, लेकिन आप किसी भी तरह से वापस आ ही जाएंगे क्योंकि आप एक गोल चक्र में हैं।



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