राजनीति

Last Updated 12 Mar 2019 05:08:19 AM IST

अच्छे लोगों के हाथों में राजनीति आ जाए तो अभूतपूर्व परिवर्तन हो सकते हैं। क्यों? कुछ थोड़ी-सी बातें हम ख्याल में ले लें।


आचार्य रजनीश ओशो

अभी ‘राजनीति’ व्यक्तियों का निहित स्वार्थ बन गई है, तब राजनीति समाज का स्वार्थ बन सकती है-एक बात। बुरा आदमी सत्ता में जाने के लिए सब बुरे साधनों का उपयोग करता है, और एक बार सत्ता में जाने में, अगर बुरे साधनों का उपयोग शुरू हो जाए तो जीवन की सब दिशाओं में बुरे साधन प्रयुक्त हो जाते हैं। जब एक राजनीतिज्ञ बुरे साधन का प्रयोग करके मंत्री हो जाए तो एक गरीब आदमी बुरे साधनों का उपयोग करके अमीर क्यों न हो जाए? और एक शिक्षक बुरे साधनों का उपयोग करके वाइस-चांसलर क्यों न हो जाए?

और एक दुकानदार बुरे साधनों को उपयोग करके करोड़पति क्यों न हो जाए? क्या बाधा है? ‘राजनीति’ थर्मामीटर है पूरी जिंदगी का। वहां जो होता है, वह सब तरफ जिंदगी में होना शुरू हो जाता है। तो राजनीति में बुरा आदमी अगर है तो जीवन के सभी क्षेत्रों में बुरा आदमी सफल होने लगेगा और अच्छा आदमी हारने लगेगा। सत्ता जिसके पास है, वह दिखाई पड़ता है पूरे मुल्क को, और जाने-अनजाने हम उसकी नकल करना शुरू कर देते हैं। अंग्रेज हिंदुस्तान में सत्ता में थे, तो हमने उनके कपड़े पहनने शुरू किए।

अगर अंग्रेज सत्ता में न होते और चीनी सत्ता में होते तो मैं कल्पना नहीं कर सकता कि हमने चीनियों की नकल न की होती। हमने चीनियों के कपड़े पहने होते। सत्ताधिकारी जो करता है, वह सारा मुल्क करने लगता है। जब एक बार अनुयायी को पता चल जाए कि सब नेता बेईमान हैं, तो अनुयायी को कितनी देर तक ईमानदार रखा जा सकता है। नहीं, अच्छे आदमी के आने से आमूल परिवर्तन हो जाएंगे। अच्छा आदमी कुर्सी को पकड़ता नहीं क्योंकि अच्छा आदमी कुर्सी की वजह से ऊंचा नहीं हो गया है। ऊंचा होने की वजह से कुर्सी पर बिठाया गया है।

इस फर्क को समझ लेना होगा। बुरा आदमी कुर्सी पर बैठने से ऊंचा हो गया है, वह कुर्सी छोड़ेगा तो फिर नीचा हो जाएगा। बुरा आदमी कुर्सी नहीं छोड़ना चाहता। अच्छा आदमी कुर्सी को छोड़ने की हिम्मत रखता है। जो कुर्सी छोड़ने की हिम्मत रखते हैं, किसी भी चीज को चुपचाप छोड़ सकते हैं, बिना किसी जबर्दस्ती किए उनके साथ, वह मुल्क की जीवनधारा का अवरोध नहीं बनते। लेकिन बुरा आदमी पकड़ लेता है, छोड़ता नहीं है। अच्छे आदमी की हटने की हिम्मत, बड़ी कीमत की चीज है। बुरे आदमी की हटने की हिम्मत ही नहीं होती है। वह जोर से पकड़ लेता है। एक ही रास्ते से हटता है वह। उसको या तो बड़ी कुर्सी दो, तो वह हट सकता है, नहीं तो नहीं हट सकता, और या फिर मौत आ जाए, तो मजबूरी में हटता है।



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