अहोभाव

Last Updated 26 Dec 2017 05:30:53 AM IST

दुख के बारे में भी उत्सव की दृष्टि ही रखें. जैसे कि: तुम उदास हो-तो उदासी के साथ तादात्म्य न बनाएं क्योंकि उदासी का अपना सौंदर्य है, जो तुमने कभी देखा ही नहीं.


आचार्य रजनीश ओशो

उदासी में एक तरह की गहराई होती है; और खुशी में उथलापन रहता है. तुम उदासी में उतरते हो तब तुम्हें इन सब बातों का अनुभव होता है. अचानक तुम्हें बोध होने लगता है कि उदासी वहां एक वस्तु की तरह मौजूद है, तुम उसे देख रहे हो, उसके साक्षी हो, और अचानक तुम प्रसन्न होने लगते हो. उदासी इतनी सुंदर!-अंधेरे के एक फूल की तरह, अथाह गहराई के एक फूल की तरह. तुम उदास होते हो तो तुम्हें लगता है कि कुछ बुरा हुआ है. यह तुम्हारा मानना है कि कुछ बुरा हुआ है, और तब तुम उससे बचने की कोशिश करते हो. तुम्हें यह गलत दृष्टि दी गई है-कि उदासी गलत है. इसमें कुछ बुरा नहीं है. यह जीवन का दूसरा छोर है. दोनों उदासी और आनंदपूर्ण जीवन बहुआयामी होता है; यह सभी दिशाओं में एक साथ चलता है. बुद्ध की प्रतिमा को ध्यान से देखो या कभी मेरी आंखों में देखो, तुम दोनों को एकसाथ पाओगे-आनंद, शांति, और उदासी भी. तुम एक ऐसा आनंद पाओगे जिसमें उदासी भी है, क्योंकि वह उदासी तुम्हें गहराई देती है. बुद्ध की प्रतिमा को देखो-आनंदपूर्ण, लेकिन फिर भी उदास. मात्र ‘उदास’ शब्द ही तुम्हें गलत अर्थ देता है-कि कुछ गलत है.

यह तुम्हारी धारणा है. मेरे लिए जीवन अपनी समग्रता में ही शुभ है. और जब तुम जीवन को अपनी समग्रता में समझ लेते हो, तभी तुम उसका उत्सव मना सकते हो; नहीं तो यह असंभव है. उत्सव का अर्थ होता है-जो भी होता है वह गौण है-मैं तो उत्सव मनाऊंगा. उत्सव किन्हीं विशेष बातों पर निर्भर नहीं है:‘कि मैं खुश हूं, इसलिए उत्सव मनाऊंगा’ या, ‘जब मैं अप्रसन्न होऊंगा उत्सव नहीं मनाऊंगा.’ उत्सव बेशर्त है; मैं जीवन का उत्सव मनाता हूं. यह उदासी लाता है-शुभ है, मैं इसका उत्सव मनाता हूं. यह प्रसन्नता लाता है-शुभ है, मैं इसका जशन मनाता हूं. उत्सव ही मेरा नजरिया है, फिर जीवन भले ही कुछ भी लाए. परंतु एक समस्या खड़ी हो जाती है क्योंकि मैं जब भी शब्दों का प्रयोग करता हूं, उन शब्दों के अर्थ तुम्हारे चित्त पर हैं. जब मैं कहता हूं, ‘उत्सव मनाओ’ तो इसका अर्थ है कि खुश होना है, जब कोई उदास है तो उत्सव कैसे मना सकता है? उत्सव का अर्थ है जीवन ने जो भी दिया है उसके प्रति अहोभाव. अस्तित्व हमें जो भी दे, उत्सव उसके प्रति धन्यवाद का भाव है, अहोभाव है.



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