प्रेम

Last Updated 19 Dec 2017 05:55:14 AM IST

प्रेमशब्द जितना मिसअंडरस्टुड है, जितना गलत समझा जाता है, उतना शायद मनुष्य की भाषा में कोई दूसरा शब्द नहीं! प्रेम के संबंध में जो गलत-समझी है, उसका ही विराट रूप इस जगत के सारे उपद्रव, हिंसा, कलह, द्वंद्व और संघर्ष हैं.


आचार्य रजनीश ओशो

प्रेम की बात इसलिए थोड़ी ठीक से समझ लेनी जरूरी है. जैसा हम जीवन जीते हैं, प्रत्येक को यह अनुभव होता होगा कि शायद जीवन के केंद्र में प्रेम की आकांक्षा और प्रेम की प्यास और प्रेम की प्रार्थना है.

जीवन का केंद्र अगर खोजना हो, तो प्रेम के अतिरिक्त और कोई केंद्र नहीं मिल सकता है. समस्त जीवन के केंद्र में एक ही प्यास है, एक ही प्रार्थना है, एक ही अभीप्सा है; वह अभीप्सा प्रेम की है. और वही अभीप्सा असफल हो जाती हो तो जीवन व्यर्थ दिखाई पड़ने लगे अर्थहीन, मीनिंगलेस, फस्ट्रेशन मालूम पड़े, विफलता मालूम पड़े, चिंता मालूम पड़े तो कोई आश्चर्य नहीं है.

जीवन की केंद्रीय प्यास ही सफल नहीं हो पाती है! न तो हम प्रेम दे पाते हैं और न उपलब्ध कर पाते हैं. और प्रेम जब असफल रह जाता है, प्रेम का बीज जब अंकुरित नहीं हो पाता, तो सारा जीवन व्यर्थ-व्यर्थ, असार-असार मालूम होने लगता है.

जीवन की असारता प्रेम की विफलता का फल है. जब प्रेम सफल होता है, तो जीवन सार बन जाता है. प्रेम विफल होता है तो जीवन प्रयोजनहीन मालूम होने लगता है. प्रेम सफल होता है, जीवन एक सार्थक, कृतार्थता और धन्यता में परिणित हो जाता है. लेकिन यह प्रेम है क्या? यह प्रेम की अभीप्सा क्या है? यह प्रेम की पागल प्यास क्या है?

कौन-सी बात है, जो प्रेम के नाम से हम चाहते हैं और नहीं उपलब्ध कर पाते हैं? जीवन भर प्रयास करते हैं? सारे प्रयास प्रेम के आसपास ही होते हैं. युद्ध प्रेम के आसपास लड़े जाते हैं. धन प्रेम के आसपास इकट्ठा किया जाता है. यश की सीढ़ियां प्रेम के लिए पार की जाती हैं. संन्यास प्रेम के लिए लिया जाता है. घर-द्वार प्रेम के लिए बसाये जाते हैं और प्रेम के लिए छोड़े जाते हैं.

जीवन का समस्त क्रम प्रेम की गंगोत्री से निकलता है. जो लोग महत्त्वाकांक्षा की यात्रा करते हैं, पदों की यात्रा करते हैं, यश की कामना करते हैं, क्या आपको पता है, वे सारे लोग यश के माध्यम से जो प्रेम से नहीं मिला है, उसे पा लेने की कोशिश करते हैं! जो लोग धन की तिजोरियां भरते चले जाते हैं, अंबार लगाते जाते हैं, क्या आपको पता है, जो प्रेम से नहीं मिला, वह पैसे के संग्रह से पूरा करना चाहते हैं!



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