षष्ठं नवदुर्गा: आज मां कात्यायनी की पूजा

Last Updated 26 Sep 2017 09:55:47 AM IST

नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की उपासना का दिन होता है. इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं.


आज मां कात्यायनी की पूजा

मां दुर्गा के छठवें स्वरूप का नाम कात्यायनी है. प्रसिद्ध महर्षि कत के पुत्र ऋषि कात्य के गोत्र में महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे. उन्होंने भगवती पराम्बा की घोर

उपासना की और उनसे अपने घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने का आग्रह किया. कहते हैं, महिषासुर का उत्पात बने पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों के तेज के अंश से देवी

कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थीं.
मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. ये ब्रजमण्डल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं.

इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है. इनकी चार भुजाएं हैं. इनका दाहिना ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है तथा नीचे वाला वर मुद्रा में है. बायें ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं. इनका वाहन सिंह है. इनकी पूजा के लिए साधक को मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित करना चाहिए.

मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. पौराणिक मान्यता है कि गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए इनकी पूजा की थी.

जिन कन्याओ के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है.

'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ.

समयलाइव न्यूज


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