शारदीय नवरात्रि: नौ कन्याओं के पूजन से मिलते हैं ये नौ फल

Last Updated 20 Sep 2017 02:40:41 PM IST

हिंदू धर्मग्रंथों में नवरात्र में छोटी कन्याओं में माता का रूप बताया गया है. इन शुभ दिनों में नौ कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व होता है.


फाइल फोटो

अष्टमी व नवमी तिथि के दिन तीन से नौ वर्ष की कन्याओं का पूजन किए जाने की परम्परा है. धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है. छल और कपट से दूर ये कन्यायें पवित्र बताई जाती है और कहा जाता है कि जब नवरात्रों में माता पृथ्वी लोक पर आती हैं तो सबसे पहले कन्याओं में ही विराजित होती है.

शास्त्रों में कहा गया है कि नौ कन्याओं के पूजन से नौ फलों की प्राप्ति होती है.

एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है.



शास्त्रों में दो साल की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छ: साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती है.

नौवें दिन कन्याओं के चरण धोकर व माथे पर तिलक लगा कर उन्हें पूजा जाता है और भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा भी देने का प्रावधान है. इस प्रकार मां भगवती प्रसन्न होकर सभी मनोरथ पूर्ण करती है.

 

समयलाईव डेस्क


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