पुराण-ज्योतिष
भारतीय पुराण-शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र और हस्तरेखा विज्ञान उपहास के विषय बन गए हैं, क्योंकि इनको बहुत बढ़ा-चढ़ा दिया गया है.
जग्गी वासुदेव |
ये हास्यास्पद बन गए, क्योंकि इन्हें लेकर बेतुके दावे किए गए. एक वजह यह भी है कि इन चीजों को बहुत ज्यादा व्यावसायिक बना दिया गया है.
ऐसा नहीं है कि ग्रहों की स्थिति और धरती के जीवों के साथ उनके ज्यामितीय संबंधों से कोई भी इनकार कर सकता है. लेकिन ये चीजें उपहास का पात्र बनीं क्योंकि इन्हें लेकर बहुत ही निर्थक दावे किए गए.
ये दावे एक तरह से सस्ते विज्ञापनों की तरह हैं जो किसी चीज को बेचने के लिए किए जाते हैं, जिसमें चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र इसलिए नहीं है कि वह आपको पहले ही बता सके कि आपकी या किसी और की जिंदगी में क्या होने वाला है. यह जीवन में आने वाली चीजों की रूप-रेखा को एक हद तक समझने के लिए है, जिससे आप अपनी गतिविधियों को उनके अनुसार तय कर सकें, ताकि आपको अधिक से अधिक लाभ हो.
आप जानते हैं कि खेल जगत से जुड़े लोग एक आसान सा काम करने के लिए भी चीजों को खास तरह से करते हैं. अगर आप किसी फुटबॉल को किक करके उसे सही दिशा में भेजना चाहते हैं तो आपको उसे एक खास तरीके से किक करना पड़ेगा. ऐसा करने के लिए आपको अपने पैर की और बॉल की ज्यामिति का पता होना चाहिए. फिर आपको उसे खास तरीके से किक मारनी होगी. तभी आप बॉल को उस दिशा में भेज पाएंगे, जिस दिशा में आप चाहते हैं.
आपने पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ियों के साथ भी ऐसा होते हुए देखा होगा, क्योंकि हम जो कुछ भी करते हैं, उसके पीछे ज्यामिति ही होती है. जब हम किसी काम में ज्यामिति का सही इस्तेमाल करते हैं, तो वह एक खास तरीके से घटित होता है और जब ऐसा नहीं करते तो उसी काम का दूसरा परिणाम होता है. हमारी जिंदगी के हर पहलू के साथ ऐसा ही है. शायद खेलों में इसका असर ज्यादा साफ दिखाई देता है.
लेकिन जब आप गाड़ी चलाते हैं या घुड़सवारी करते हैं, यहां तक कि जब आप कुछ खाते हैं या खाना बनाते हैं, तब भी यह बात लागू होती है. जिस तरह आप जीवन के बारे में सोचते हैं और अनुभव करते हैं ये उस पर भी हर पल लागू होता है. अगर आपका ज्यामिति के साथ तालमेल सही बैठता है तो यह एक खास तरीके से काम करता है और अगर ऐसा नहीं होता तो यह अलग तरीके से काम करता है.
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