सफलता

Last Updated 04 Feb 2017 02:14:33 AM IST

आपकी अभिलाषा कौन-सी है? जो भी काम हाथ में लें उसमें सफलता मिलनी चाहिए, यही न? पश्चिम के मनोवैज्ञानिक यही सीख देते, ‘सफलता मिले, ‘सफलता मिले’ इन्हीं शब्दों को बार-बार रटते रहें.


धर्माचार्य जग्गी वासुदेव

आपका प्रत्येक कार्य, हरेक कदम सफलता पर लक्षित रहे. ऐसे प्रयास से, बहुत संभव है, आपका रक्तचाप बढ़ जाए. जेन दर्शन कहता है, लक्ष्य पर अपनी एक आंख गड़ा देने पर आदमी आधा अंधा हो जाता है. बाकी बची हुई एक आंख से बेचारा किस हद तक काम कर सकता है?

इस तरह आधे-अधूरे ध्यान के साथ काम न कीजिए. सफलता पर ही ध्यान रखते हुए कड़ी मेहनत करने पर भी मन में ‘कामयाबी मिलेगी या नहीं मिलेगी’ इस द्वंद्व के चलते तनाव, आशंका, चिंता, मानिसक क्लेश जैसे कई सारे पिशाच आपके ऊपर हावी हो जाएंगे. इस क्षण में जो काम करना है उसे दोनों आंखों का प्रयोग करते हुए पूर्ण रूप से संपन्न कीजिए.

इससे अपने लक्ष्य को पकड़ ने केलिए उचकने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि आप सफलता के लक्ष्य को आसानी से छू सकते हैं. ठीक-ठीक समझ लें. आपको ध्यान के साथ मेहनत करनी चाहिए, कड़ी मेहनत करने की जरूरत नहीं है. इस बात को स्पष्ट करने के लिए जेन में एक दिलचस्प वाकया मिलता है. चान सू नाम से एक जैन गुरु  रहते थे.

तलवारबाजी में उनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था. उनके पास नया चेला आया. उसने गुरु  से पूछा, ‘क्या आप मुझे इस देश का सर्वश्रेष्ठ वीर बना सकेंगे?’ ‘क्यों नहीं दस साल में मैं तुम्हें उस लायक तैयार कर दूंगा’ गुरु जी ने कहा. ‘ओह, दस साल? पांच साल में यह क्षमता आनी चाहिए गुरु देव! मैं दूसरों की बनिस्बत दुगुनी मेहनत करने को तैयार हूं.’ चान सू ने कहा, ‘तब तो बीस साल लगेंगे.’ चेला चकित रह गया, ‘यदि उतनी मेहनत काफी नहीं हो तो चौगुनी ज्यादा मेहनत करने के लिए तैयार हूं.’ ‘ऐसा करोगे तो चालीस साल लग जाएंगे न?’

गुरु  ने कहा. हां, ज्यों-ज्यों आप अपने को, अपने शरीर को ज्यादा दुख देंगे, लक्ष्य को पाने में उसी अनुपात में ज्यादा समय लगेगा. चान सू ने उस चेले को यही मर्म समझाया. कड़ी मेहनत करने वाले लोग कभी-कभी सफल तो हो जाएंगे, लेकिन वे उसकी खुशी का अनुभव नहीं पा सकते. परिणाम के बारे में चिंता करना छोड़िए. हर बार पूरी लगन के साथ काम कीजिए. सफलता स्वयं आकर आपके दरवाजे पर दस्तक देगी.



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