निर्जला एकादशी: ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के व्रत से मिल जाता है सभी एकादशियों के व्रत के समान पुण्य

Last Updated 31 May 2023 09:03:27 AM IST

इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023, बुधवार को मनाई जा रही है। इस व्रत को करने से पूरे वर्ष की एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है।


निर्जला एकादशी या ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के व्रत करने से पूरे साल की सभी एकादशियों के व्रत के समान पुण्य मिल जाता है। कहा जाता है महाबलशाली भीम ने भी यो व्रत किया था।

धर्मग्रन्थों में सालभर में 24 प्रकार की एकादशी बताई गई है। जिन सब का अलग अलग महत्व है। लेकिन सभी एकादशियों में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व है। इस दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत रखना होता है। यह व्रत सभी एकादशी व्रतों में कठिन होता है। भक्त दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करते है और निर्जला एकादशी की कथा सुनते हैं। जो भक्त ये व्रत करते हैं, उन्हें सालभर की सभी एकादशियों के व्रत के बराबर पुण्य मिलता है।

द्वापर युग में भीम ने भी किया था निर्जला एकादशी व्रत

कथा के मुताबिक महाभारत के समय यानी द्वापर युग में भीम ने सबसे पहले इस व्रत को किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। कहा जाता है कि भीम को छोड़कर युधिष्ठिर, अर्जुन और नकुल-सहदेव सालभर की सभी एकादशियों पर व्रत करते थे। एक दिन भीम ने इस बारे में वेद व्यास जी से बात की।  उन्होंने व्यास जी से कहा कि मैं तो थोड़ी देर भी भूखे नहीं रह पाता हूं, ऐसे में एकादशी व्रत करना मेरे लिए संभव नहीं है। क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है, जिससे मुझे भी एकादशी व्रत का पुण्य मिल सके।

ये बात सुनकर व्यास जी ने भीम को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी यानी निर्जला एकादशी के बारे में बताया। व्यास जी ने कहा कि सालभर में सिर्फ एक एकादशी का व्रत कर लिया जाए तो सालभर की सभी एकादशियों का पुण्य मिल सकता है। इसके बाद भीम ये व्रत किया था।

ये बात सुनकर व्यास जी ने भीम को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी यानी निर्जला एकादशी के बारे में बताया। व्यास जी ने कहा कि सालभर में सिर्फ एक एकादशी का व्रत कर लिया जाए तो सालभर की सभी एकादशियों का पुण्य मिल सकता है। इसके बाद भीम ये व्रत किया था।

मान्यता है कि भगवान विष्णु काआशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सभी एकादशी व्रत में से निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होती है। अगर आप साल की 24 एकादशी का व्रत नहीं पाते तो इस एक व्रत को करने मात्र से ही आप सारा पुण्य कमा सकते हैं।

कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने, पूजा और दान करने से व्रती जीवन में सुख-समृद्धि का भोग करते हुए अंत समय में मोक्ष को प्राप्त होता है।

इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है।

इस दिन तामसिक आहार, परनिंदा एवं दूसरों का अपमान से भी दूर रहना चाहिए। भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान फल प्राप्त होता है।
 

निर्जला एकादशी की पूजाविधि


इस दिन तुलसी की मंजरी तथा पीला चन्दन,रोली,अक्षत,पीले पुष्प,ऋतु फल एवं धूप-दीप,मिश्री आदि से भगवान दामोदर का भक्ति-भाव से भगवान विष्णु को पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु का विधिवत पूजन के बाद 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करना सौभाग्य में वृद्धि करता है। इस दिन गोदान,वस्त्रदान,छत्र,जूता,फल एवं जल आदि का दान करने से मनुष्य को परम गति प्राप्त होती है।

इस दिन जागरण करने वाले को हज़ारों बर्ष तपस्या करने के समान फल मिलता है।  द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर एवं दक्षिणा देने के बाद अन्न व जल ग्रहण करने का विधाना है।

इस व्रत में सुबह जल्दी नहाकर भगवान विष्णु की पूजा में जल दान का संकल्प भी लिया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले को या जिन लोगों ने व्रत नहीं भी हैं उन्हें जरूरतमंद व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़कर दान करना चाहिए।:-
 

देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक।
उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥

इसका अर्थ है कि संसार सागर से तारने वाले देवदेव हृषिकेश इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति प्रदान करें।

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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