नवरात्र का नवां दिन, सुख-शांति की देवी मां सिद्धिदात्री की उपासना

Last Updated 07 Oct 2019 10:32:06 AM IST

नवरात्र-पूजन के नौवें दिन मां दुर्गा की नवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।


मां सिद्धिदात्री

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व-ये आठ सिद्धियां होती हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण-जन्मखण्ड में यह संख्या अठारह बतायी गयी है। इनके नाम (1) अणिमा (2) लघिमा (3) प्राप्ति (4) प्राकाम्य (5) महिमा (6) ईशित्व, वाशित्व (7) सर्वकामावसायिता (8) सर्वज्ञत्व (9) दूरश्रवण (10) परकायप्रवेशन (11) वाक्सिद्धि (12) कल्पवृक्षत्व (13) सृष्टि (14) संहारकरणसामर्थ्य (15) अमरत्व (16) सर्वन्यायकत्वप (17) भावना (18) सिद्धि।

इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती है। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अन्तिम हैं।

इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। मां ‘श्री सिद्धिदात्री’ भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली है। देवीपुराण के अनुसार भगवान् शिव ने मां ‘श्री सिद्धिदात्री’ की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वह लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।

श्री सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से भक्तों को सम्मोहित करती हैं। नव दुर्गाओं में मां ‘श्री सिद्धिदात्री’ अन्तिम हैं। अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा-उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा-पूजा के नवें दिन इनकी उपासना में प्रवृत्त होते हैं।

श्री सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों को यश, बल व धन की प्राप्ति होती और उनकी लौकिक पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।

‘श्री सिद्धिदात्री’ की पूजा के लिए नवाहन का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण किया जाता है और इस प्रकार नवरात्र का समापन करने वाले भक्तगण धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्राप्त करने की ओर अग्रसर होते हैं।

 

समयलाइव डेस्क


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment