बचपन में इरफान को नहीं थी सिनेमा देखने की इजाजत, बॉलीवुड में ऐसे मुकाम हासिल किया
जयपुर में पैदा हुए इरफान ने बॉलीवुड में जो मुकाम हासिल किया, उसके पीछे उनकी सालों की मेहनत थी। जयपुर के रंगमच से बॉलीवुड के पर्दे तक चमकने की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है।
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बॉलीवुड के आकाशगंगा पर अपने जादुई अभिनय का रंग बिखरेने वाले इरफान खान को बचपन के दिनों में सिनेमा देखने की आजादी नहीं थी। इरफान खान ने न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड में भी अपने दमदार और सशक्त अभिनय से जलवा बिखेरा लेकिन बचपन में फिल्में देखने की इजाजत नहीं थी। इरफान खान ने एक बार बताया था।“
बचपन मेरा जयपुर में गुजरा, मां-पापा का घर टोंक में था। वहां बचपन में जाया करता था। वहां साथियों के साथ नाटक किया करते थे। फिल्में देखने की इजाजत बचपन से ही नहीं थी। जब चाचा आया करते थे साल में एक-आद बार तो सब खुश हो जाया करते थे। चाचा सिनेमा दिखाने ले जाया करते थे। वे कुछ पैसे देते थे और सारा परिवार फिल्म देखने जाया करता था।”
इरफान ने कहा था “टोंक में जहां मेरी खाला का घर था वो सिनेमा हॉल के ठीक सामने था। तो जैसे ही खाला के घर का दरवाजा खुलता था तो सीधा सिनेमाघर पड़ता था। वहां पर जो टिकेट बेचने वाली थी उस महिला से खाला की जान-पहचान थी तो फिल्म के बीच में ही हम लोग जाकर बैठ जाया करते थे और फिल्म देखते थे।”
इरफान को बचपन से ही अभिनय का शौक था। हालांकि, उन दिनों पिंक सिटी में सही मंच उपलब्ध न होने के कारण वह नुक्कड़ नाटकों में हिस्सा लेने लगे। उनके अनुसार, उन दिनों नुक्कड़ नाटक काफी अलग होते थे। इस बारे में उन्होंने कहा था, "मुझे एक फिल्मी सीन या एक गीत पर अभिनय करने के लिए कहा गया था, जहां मुझे अभिनेता की नकल करनी थी। उन दिनों नाटकों में गंभीरता नहीं होती थी।"
वह जैसे-जैसे बड़े होते गए, उन्होंने अभिनय के प्रति अपने झुकाव को महसूस किया और इसलिए वह रवींद्र मंच के कार्यालय गए, जो जयपुर में आर्टिस्ट जंक्शन की तरह है, जो रंगमंच, फिल्म और टेलीविजन के अभिनेताओं को प्रशिक्षित करने को समर्पित है।
स्थान की सही जानकारी न होने के कारण वह उत्सुकतापूर्वक एक क्लर्क के कार्यालय में चले गए, जहां उन्होंने विनम्रतापूर्वक अभिनय को लेकर अनुरोध किया।
उन्होंने आगे कहा था, "वह क्लर्क हंस पड़ा और फिर उसने मुझे निदेशक के कार्यालय का रास्ता दिखाया। उसके निर्देशों के अनुसार, मैं निदेशक के पास गया और उसके बाद मुझे थिएटर की दुनिया से परिचित कराया गया। इसके बाद, मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।"
इरफान खान ने एक डॉक्टर की मौत, सलाम बॉम्बे, मकबूल, बिल्लू, डी डे, पान सिंह तोमर, मदारी, कारवां, दि लंचबॉक्स, हिंदी मीडियम और इंग्लिश मीडियम जैसी फिल्मों में काम किया।
इरफान की आखिरी फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम' पिछले महीने 20 मार्च को रिलीज हुई थी।
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