सामयिक : रक्षा परियोजनाओं में देरी क्यों
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ माशर्ल अमरप्रीत सिंह ने 29 मई, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित एक सभा में रक्षा परियोजनाओं में देरी को लेकर महत्त्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘टाइमलाइन बड़ा मुद्दा है। मेरे विचार में एक भी परियोजना ऐसी नहीं है, जो समय पर पूरी हुई हो।
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कई बार हम कॉन्ट्रैक्ट साइन करते समय जानते हैं कि यह सिस्टम समय पर नहीं आएगा। फिर भी हम कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लेते हैं।’ यह बयान भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में चल रही प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।
एयर चीफ माशर्ल सिंह ने अपने बयान में विशेष रूप से हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. द्वारा तेजस Mk1A फाइटर जेट की डिलीवरी में देरी का उल्लेख किया। यह देरी 2021 में हस्ताक्षरित 48,000 करोड़ रु पये के कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है, जिसमें 83 तेजस Mk1A जेट्स की डिलीवरी मार्च, 2024 से शुरू होनी थी, लेकिन अभी तक एक भी विमान डिलीवर नहीं हुआ है। उन्होंने तेजस Mk2 और उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) जैसे अन्य महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में प्रोटोटाइप की कमी और देरी का भी जिक्र किया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, जिसे उन्होंने ‘राष्ट्रीय जीत’ करार दिया गया है, उनके बयान का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि यह रक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
पहली बार नहीं है जब HAL की आलोचना हुई है। फरवरी, 2025 में एयरो इंडिया 2025 के दौरान एयर चीफ माशर्ल सिंह ने HAL के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था, ‘मुझे HAL पर भरोसा नहीं है, जो बहुत गलत बात है।’ यह बयान एक अनौपचारिक बातचीत में रिकॉर्ड हुआ था, लेकिन इसने रक्षा उद्योग में गहरे मुद्दों को उजागर किया। रक्षा परियोजनाओं में देरी के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ संरचनात्मक और कुछ प्रबंधन से संबंधित हैं। तेजस रूद्म1 की डिलीवरी में देरी का एक प्रमुख कारण जनरल इलेक्ट्रिक से इंजनों की धीमी आपूर्ति है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में समस्याएं विशेष रूप से 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद भारत पर लगे प्रतिबंधों ने HAL की उत्पादन क्षमता को प्रभावित किया है। सिंह ने HAL को ‘मिशन मोड’ में न होने के लिए आलोचना की।
उन्होंने कहा कि HAL के भीतर लोग अपने-अपने साइलो में काम करते हैं, जिससे समग्र तस्वीर पर ध्यान नहीं दिया जाता। यह संगठनात्मक अक्षमता और समन्वय की कमी का संकेत है। सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि कई बार कॉन्ट्रैक्ट साइन करते समय ही यह स्पष्ट होता है कि समय सीमा अवास्तविक है। फिर भी, कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लिए जाते हैं, जिससे प्रक्रिया शुरू से ही खराब हो जाती है। यह एक गहरी सांस्कृतिक समस्या को दर्शाता है, जहां जवाबदेही की कमी है। हालांकि सरकार ने AMCA जैसे प्रोजेक्ट्स में निजी क्षेत्र की भागीदारी को मंजूरी दी है, लेकिन अभी तक रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भूमिका सीमित रही है। इससे HALऔर DRDO जैसे सार्वजनिक उपक्रमों पर अत्यधिक निर्भरता बढ़ती है, जो अक्सर समय सीमा पूरी करने में विफल रहते हैं।
भारत की रक्षा खरीद प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली है। डिजाइन और विकास में देरी, जैसे कि तेजस Mk2 और AMCA के प्रोटोटाइप की कमी, भी परियोजनाओं को और पीछे धकेलती है। रक्षा परियोजनाओं में देरी का भारतीय वायुसेना की परिचालन तत्परता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में भारतीय वायु सेना के पास 42.5 स्क्वाड्रनों की स्वीकृत ताकत के मुकाबले केवल 30 फाइटर स्क्वाड्रन हैं। तेजस Mk1A जैसे स्वदेशी विमानों की देरी और पुराने मिग-21 स्क्वाड्रनों का डीकमीशनिंग इस कमी को और गंभीर बनाता है। देरी से रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रगति भी प्रभावित होती है।
सिंह ने कहा, ‘हमें केवल भारत में उत्पादन की बात नहीं करनी चाहिए, बल्कि डिजाइन और विकास भी भारत में करना चाहिए।’ देरी न केवल भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता को कमजोर करती है, बल्कि रक्षा उद्योग में विश्वास को भी प्रभावित करती है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे हालिया सैन्य अभियानों ने स्पष्ट किया है कि आधुनिक युद्ध में हवाई शक्ति की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, और इसके लिए समय पर डिलीवरी और तकनीकी उन्नति अनिवार्य है। एयर चीफ माशर्ल अमरप्रीत सिंह के बयान ने रक्षा क्षेत्र में सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है। रक्षा कॉन्ट्रैक्ट्स में यथार्थवादी समय सीमाएं निर्धारित की जानी चाहिए। सिंह ने सुझाव दिया, ‘हमें वही वादा करना चाहिए जो हम हासिल कर सकते हैं।’
इसके लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से पहले गहन तकनीकी और लॉजिस्टिकल मूल्यांकन की आवश्यकता है। AMCA प्रोजेक्ट में निजी क्षेत्र की भागीदारी सकारात्मक कदम है। निजी कंपनियों को रक्षा उत्पादन में और अधिक शामिल करने से HAL पर निर्भरता कम होगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। HALऔर अन्य सार्वजनिक उपक्रमों को ‘मिशन मोड’ में काम करने के लिए संगठनात्मक सुधार करने चाहिए। इसके लिए समन्वय, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और कर्मचारी प्रशिक्षण में सुधार की आवश्यकता है। इंजन और अन्य महत्त्वपूर्ण घटकों के लिए विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को कम करने के लिए स्वदेशी विकास पर ध्यान देना होगा। रक्षा खरीद प्रक्रिया को सरल और तेज करने की आवश्यकता है ताकि अनावश्यक देरी से बचा जा सके।
एयर चीफ माशर्ल सिंह का बयान रक्षा क्षेत्र में गहरी जड़ें जमाए बैठी समस्याओं को उजागर करता है। उनकी स्पष्टवादिता न केवल जवाबदेही की मांग करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत को आत्मनिर्भर और युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए तत्काल सुधारों की आवश्यकता है। तेजस Mk1A, Mk2 और AMCA जैसे प्रोजेक्ट्स भारत की रक्षा क्षमता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। इनमें देरी न केवल हमारी फौज की तत्परता को प्रभावित करती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डालती है। सरकार, रक्षा उद्योग और निजी क्षेत्र को मिल कर इन चुनौतियों का समाधान करना होगा ताकि भारत न केवल उत्पादन, बल्कि डिजाइन और विकास में भी आत्मनिर्भर बन सके। सिंह का यह बयान चेतावनी तो है ही, लेकिन साथ ही रक्षा क्षेत्र को ‘सर्वश्रेष्ठ’ करने की दिशा में एक अवसर भी है।
(लेख में विचार निजी हैं)
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