सामयिक : ’वेड इन इंडिया‘ का अर्थशास्त्र
हाल ही में 8 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (Uttarakhand Global Investors Summit) को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय देश के संपन्न वर्ग के लोगों के बीच ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ के लिए विदेश जाना चलन बन गया है।
सामयिक : ’वेड इन इंडिया‘ का अर्थशास्त्र |
ऐसे में यदि शादी के उत्सव को भारत की धरती पर, भारत के लोगों के बीच मनाएंगे, तो देश का पैसा देश में ही रहेगा। उन्होंने कहा कि शादियों के लिए खरीदारी करते समय भी सभी को केवल भारत में बने उत्पादों को ही महत्त्व देना चाहिए। मोदी ने कहा कि अब देश को ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर ‘वेड इन इंडिया’ जैसे आंदोलन की जरूरत है।
गौरतलब है कि देश में इस समय विवाह समारोहों के आयोजन यानी वेडिंग से जुड़ा कारोबार करीब 5 लाख करोड़ रु पए का है। इस वेडिंग कारोबार में 15-17 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोतरी भी हो रही है। चूंकि शादी को कुछ खास अंदाज में करने के लिए देश के बाहर डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन अब मध्यवर्गीय परिवारों में भी देखा जा रहा है और खासतौर से कोरोना काल के बाद युवा विदेशों में डेस्टिनेशन वेडिंग करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ऐसे में वेड इन इंडिया आंदोलन को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाकर भारत के वेडिंग कारोबार और इसमें रोजगार को नई ऊंचाइयाँ दी जा सकती है। उल्लेखनीय है कि देश के अमीर वर्ग के लोग देश में ही डेस्टिनेशन वेडिंग को अपनाएं तथा दूसरी ओर विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोग भी भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग की ओर आकर्षित हो, तो इसके लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा।
यह बात प्रचारित-प्रसारित करना होगी कि जिस तरह विदेश में डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए जो तैयारी होती है, उससे कम मूल्य में और गुणवत्तापूर्ण ढंग से वे तैयारियां बहुत कुछ भारत में भी हैं। भारत में भी शिक्षित-प्रशिक्षित वेडिंग प्लानर उपलब्ध हैं। वेडिंग प्लानर वेडिंग के आयोजकों के साथ मिलकर न सिर्फ विवाह समारोह के लिए आयोजन की पूरी प्लानिंग करता है वरन उस योजना को खास रूपरेखा प्रदान कर अंतिम रूप भी देता है। इनके द्वारा डेस्टिनेशन वेडिंग से लेकर शादी की विभिन्न रस्मों की आकषर्क थीम और लजीज खानपान की व्यवस्था को खूबसूरत अंजाम दिया जाता है। डेस्टिनेशन वेडिंग के तहत शादी के निमंतण्रपत्र की डिजाइनिंग से लेकर, गिफ्ट पैकिंग और वेन्यू तय करने से लेकर बारात का स्वागत करने तक का सारा भार अलग-अलग वेडिंग कारोबार के विशेषज्ञों के द्वारा पूरा होता है।
चूंकि आजकल लोगों के पास समय की बहुत कमी है और उनकी महत्त्वाकांक्षाएं बहुत ज्यादा होती है। आज हर कोई बिना तनाव एवं परेशानी लिए बेहतरीन वैवाहिक व्यवस्था करना चाहता है। इतना ही नहीं विवाह के हर पहलू जैसे डेकोरेशन, संगीत, मेहंदी की रस्म, भोजन की व्यवस्था और दूल्हा-दुल्हन के परिधान आदि सब पर भी खास ध्यान दिया जाता है, ये सारी ऐसी व्यवस्थाएं हैं, जो भारतीय वेडिंग प्लानर्स के द्वारा कुशलतापूर्वक पूरी की जा रही हैं और इससे विवाह में शामिल होने वाले मेहमानों के चेहरे पर भी खुशियां बनी रहती है। साथ ही वेडिंग प्लानर होने से शादी से संबंधित किसी कार्य के लिए परेशान नहीं होना होता है तथा विवाह में केवल सज-धज कर पहुंचना होता है।
चूंकि विवाह समारोह जिस तरह वर्तमान समय में सामाजिक संस्कार के साथ-साथ व्यक्ति की प्रतिष्ठा का भी पर्याय बन गया है। साथ ही वर्तमान में विवाह से जुड़ी प्रत्येक चीज ट्रेंडी या विशिष्ट हो गई है, लेकिन परंपरा को बनाए रखने की चाह भी नहीं मिटी है, इसी वजह से आधुनिकता व परंपरा का समन्वय एक फैशन भी बन गया है। ऐसे में यदि भारत में संस्कार और संस्कृति के मूल्यों के साथ डेस्टिनेशन वेडिंग के अभियान को आगे बढ़ाया जाए तो संपन्न वर्ग के लोगों में विदेशों में डेस्टिनेशन वेडिंग की बढ़ती हुई संख्या को सीमित किया जा सकता है। साथ ही विदेशों से भी भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ाया जा सकता है।
निश्चित रूप से जहां एक ओर भारतीयों का विदेशों में विवाह आयोजनों का तेजी से बढ़ता रु झान घरेलू वेडिंग उद्योग के मद्देनजर नुकसान की तरह है, वहीं देश के विदेशी मुद्रा कोष को घटाने वाला भी है। ऐसे में सरकार और देश के वेडिंग आयोजनों से जुड़े निजी सेक्टर को रणनीतिक रूप से ध्यान देना होगा कि इस समय देश के जो वेडिंग डेस्टिनेशन आकषर्क बने हुए हैं, उन्हें और उपयुक्त बनाकर संपन्न वर्ग को लुभाया जाए। इनमें दिल्ली-एनसीआर, आगरा, उदयपुर, जयपुर, जोधपुर,मंसूरी, देहरादून, गोवा, अलवर, लवासा, पुणे, वाराणसी, ऋषिकेश, अहमदाबाद, गांधीनगर, वडोदरा, राजकोट, आनंद, भावनगर, वायनाड, कोझिकोड, अर्नाकुलम, मांडू, उज्जैन तथा इंदौर जैसी लोकप्रिय वेडिंग डेस्टिनेशन शामिल हैं।
इसके साथ-साथ सरकार को इस ओर भी ध्यान देना होगा कि देश में जो चमकीले अनोखेपन वाले पर्यटन केंद्र हैं, उनके आस-पास वर्तमान वेडिंग डेस्टिनेशन को विकसित किया जाए और नए वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए बुनियादी ढांचे की सुविधाओं पर ध्यान दिया जाए। ज्ञातव्य है कि भारत की संस्कृति, संगीत, हस्तकला, खानपान से लेकर नैसर्गिक सुंदरता हमेशा से लोगों को आकर्षित करती रही हैं। वेडिंग डेस्टिनेशन को पुष्पित-पल्लवित करने वाले इन सभी कायरे के लिए केंद्र सरकार, राज्यों और स्थानीय निकायों को समन्वित रूप से साथ मिलकर काम करना होगा।
यदि इन सभी बातों पर रणनीतिपूर्वक ध्यान दिया जाए तो निश्चित रूप से प्रधानमंत्री ने अमीर लोगों से देश के भीतर ही डेस्टिनेशन वेडिंग करने के लिए जिस ‘वेड इन इंडिया’ जैसे आंदोलन की जरूरत बताई है, उसे सफलतापूर्वक साकार होने की पूरी संभावनाएं हैं। इसके साथ-साथ इस संभावना को भी साकार किया जा सकता है कि विदेशों में रह रहे भारतीय समुदाय के साथ भारत में विभिन्न कारणों से भ्रमण के इच्छुक विदेशी भी अपने परिवारों के सदस्यों के विवाह के लिए भारत को अपना डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल बनाना पसंद करें। इससे जहां वेडिंग डेस्टिनेशन से जुड़े विभिन्न उद्योग कारोबार आगे बढ़ेंगे, वहीं इनमें रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। ऐसे में भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में अपना अहम योगदान देते हुए दिखाई देगी।
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