कच्चा तेल : बढ़ती कीमतें और महंगाई

Last Updated 28 Oct 2023 01:07:33 PM IST

इन दिनों हमास-इस्राइल युद्ध, कच्चे तेल उत्पादक देशों के द्वारा तेल उत्पादन में कटौती, कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ते हुए ऊंचे स्तर पर पहुंचने तथा वैिक खाद्यान्न संकट से दुनिया के कोने-कोने में महंगाई बढ़ने का परिदृश्य दिखाई दे रहा है।


कच्चा तेल : बढ़ती कीमतें और महंगाई

यद्यपि इसी माह अक्टूबर 2023 में प्रकाशित केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक एवं खुदरा महंगाई के सूचकांक महंगाई में कमी का संकेत दे रहे हैं, लेकिन चुनौतीपूर्ण वैिक भू-राजनीतिक एवं आर्थिक चुनौतियों के दौर में महंगाई बढ़ने की आशंका है।

चूंकि महंगाई शहरी मध्यम वर्ग को अधिक प्रभावित करती है, अतएव आगामी चुनावों में महंगाई के मुद्दे के मद्देनजर सरकार के द्वारा महंगाई नियंत्रण सरकार की बड़ी चिंता बन गई है। यह चिंता इसलिए भी दिखाई दे रही है क्योंकि पिछले दिनों विश्व बैंक के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के साथ-साथ भारत में भी महंगाई बढ़ने की चुनौती दी गई है। रिपोर्ट में वर्ष 2023-24 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 5.9 फीसद रहने का अनुमान प्रस्तुत किया गया है, पूर्व में प्रस्तुत महंगाई के अनुमान से नया अनुमान अधिक बताया गया है। हाल ही में 16 अक्टूबर को प्रकाशित थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आंकड़ों के अनुसार सितम्बर 2023 में थोक मुद्रास्फीति दर लगातार छठे महीने शून्य से नीचे घटकर सितम्बर में -0.26 प्रतिशत दर्ज की गई। अगस्त महीने में थोक महंगाई दर पांच महीने के उच्च स्तर -0.52 फीसद पर पहुंच गई थी।

पिछले माह सितम्बर में रासायनिक उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, बुनियादी धातुओं और खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट थोक महंगाई के कम होना प्रमुख कारण है। ज्ञातव्य है कि थोक मूल्य सूचकांक थोक में बेचे और कारोबार किए गए सामानों की कीमतों में बदलाव का मूल्यांकन करता है। इसी तरह देश में खुदरा महंगाई में भी कमी आई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुसार जुलाई 2023 में जो खुदरा महंगाई दर 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, वह अगस्त 2023 में घटकर 6.8 फीसद और सितम्बर में 5.02 फीसद के स्तर पर आ गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में यह कमी इस बात सूचकांक से तय होने वाली इस दर में अनाज, सब्जी, परिधान, फुटिवयर, आवास एवं सेवाओं की कीमतों में आई गिरावट की वजह से हुई है। 

गौरतलब है कि 6 अक्टूबर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार चौथी बार नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय लिया है। निसंदेह इस समय देश में महंगाई को लेकर चुनौतियां मुंह बाएं खड़ी हैं। पिछले माह सितम्बर के दौरान ज्यादातर समय कच्चे तेल का दाम 90 डॉलर प्रति बैरल से अधिक रहा है। अब ये और बढ़ कर 94 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर है। चूंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरत का करीब 80 फीसद आयात करता है, अतएव वैिक बाजार में कच्चे तेल के तेजी से बढ़ते हुए मूल्यों के कारण महंगाई बढ़ने की आशंका है। जहां दुनिया के बाजारों में गेहूं, दाल और चावल की कीमतें तेजी से बढ़ रही है, वहीं चीनी की कीमतें तो 12 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। इसी माह अक्टूबर 2023 में त्योहारी मांग बढ़ने से गेहूं, अरहर की दालों व अन्य खाद्यान्नों के दाम बढ़ने लगे हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि 18 अक्टूबर को सरकार के द्वारा प्रकाशित खाद्यान्न उत्पादन आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन अनुमानित लक्ष्य से 20 लाख टन घटकर 11.05 करोड़ टन रहेगा, दालों का उत्पादन पिछले वर्ष 2.7 करोड़ टन से घटकर 2.6 करोड़ टन और चावल का उत्पादन पिछले वर्ष के 12.94 करोड़ टन से घटकर 13.57 करोड़ टन होने का अनुमान है। ऐसे में गेहूं और दालों की कीमतें बढ़ने की आशंकाएं सामने हैं। इसमें दो मत नहीं हैं कि बढ़ती कीमतों के कारण बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार और आरबीआई कई प्रयासों के साथ आगे बढ़े हैं। खासतौर से गेहूं के दाम नियंत्रण के लिए खुले बाजार में मांग की पूर्ति के अनुरूप इसकी अधिक बिक्री जरूरी है। आटा मिलों को अधिक मात्रा में गेहूं देना होगा। साथ ही गेहूं के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दिए जाने की जरूरत है। देश में जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज की जानी होगी। अतिरिक्त नकदी की निकासी पर रिजर्व बैंक को ध्यान देना होगा।

आवश्यक खाद्य पदार्थों के उपयुक्त रूप से आयात की रणनीति से मजबूत आपूर्ति से खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जाना होगा। सरकार के द्वारा खुदरा महंगाई नियंत्रण के लिए रणनीतिक रूप से एक ऐसी मूल्य नियंत्रण समिति का गठन करना होगा, जो बाजार में आने वाले उतार-चढ़ाव को देखते हुए कीमतों के अनियंत्रित होने से पूर्व ही मूल्य नियंत्रण के कारगर कदम उठाने के लिए तत्पर रहे। इस्रइल-हमास युद्ध के गहराने की आशंका के बीच महंगाई नियंत्रण के कारगर रणनीतिक प्रयास जरूरी है।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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