मुद्दा : नये राज्यों का जन्मदाता है नवम्बर महीना

Last Updated 09 Nov 2022 01:43:41 PM IST

भारत में नवम्बर का महीना जहां रानी लक्ष्मी बाई, टीपू सुल्तान, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद, लाला लाजपत राय, पंडित मदन मोहन मालवीय, हरिवंश राय बच्चन, इंदिरा गांधी, अर्मत्य सेन एवं इंदिरा गोस्वामी जैसी महान हस्तियों की जयंतियों के कारण उत्सवों से भरपूर रहता है वहीं यह महीना देश के सर्वाधिक 9 राज्यों के जन्मोत्सवों के उपलक्ष्य में भी जगमगाता है।


मुद्दा : नये राज्यों का जन्मदाता है नवम्बर महीना

इसी महीने की पहली तारीख को तो देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश सहित 7 राज्यों का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इनमें नवीनतम राज्य छत्तीसगढ़ है जिसका जन्मोत्सव 1 नवम्बर को मनाया जा चुका है।
नये राज्यों की मांग न केवल बेहतर शासन-प्रशासन और विकास के लिए की जाती रही है अपितु इसके पीछे क्षेत्रीय सांस्कृतिक पहचान भी एक कारण रहा है, लेकिन अवसरवाद, पदलोलुपता के कारण उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता भी नये राज्यों के साथ सामान्यत: चिपकी रही है। नवम्बर का महीना छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड के लोगों के दशकों से संजोये गये अलग प्रदेश के सपने के साकार करने का महीना तो है ही, क्योंकि वर्ष 2000 में इसी महीने की पहली तारीख को छत्तीसगढ़ भारतीय गणतंत्र को छब्बीसवां, 9 नवम्बर को उत्तराखण्ड 27वां और 15 नवम्बर को झारखण्ड 28वां राज्य बना था।

भारत के इतिहास में सम्पूर्ण नवम्बर महीने से भी महत्त्वपूर्ण इस महीने की पहली तारीख है जिस दिन वर्षो पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया था। साल 1956 से लेकर साल 2000 तक इसी दिन भारत के 6 अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ। सन 1956 में नवम्बर के महीने पहली तारीख को जन्मे राज्यों में कर्नाटक, केरल, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं। पश्चिम बंगाल का नये क्षेत्रों के साथ पुनर्गठन भी 1 नवम्बर 1956 को ही हुआ था। इनके अलावा इसी महीने की इसी तिथि को वर्ष 1966 में पंजाब और हरियाणा राज्य अस्तित्व में आए थे। दरअसल, अंग्रेजों ने एक भाषा बोलने वालों की भू-क्षेत्रीय समरसता की अनदेखी कर अपनी प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए मनमाने ढंगे से भारत को 21 बड़ी प्रशासनिक इकाइयों में बांटा हुआ था। स्वतंत्रता के बाद नये ढंग से राज्यों का पुनर्गठन करने एवं नये राज्यों की मांग के जोर पकड़ने पर सबसे पहले 1 अक्टूबर, 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन किया गया।

उसके बाद 22 दिसम्बर 1953 को न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के उद्देश्य से संसद द्वारा सातवां संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 पारित किया गया। देश के मध्य में स्थित दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश की स्थापना भी 1 नवम्बर 1956 को ही हुई थी। इसी तरह 1 नवम्बर 1956 को सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों का एक ही राज्य में विलय कर दिया गया था। वर्तमान कर्नाटक राज्य पहले 20 से भी ज्यादा अलग-अलग इकाइयों में बंटा था, जिनमें मद्रास, बॉम्बे प्रेसीडेंसी और निजामों की हैदराबाद रियासत भी शामिल थीं। इसी साल 1956 में 1 नवम्बर को केरल को भाषा के आधार पर एक राज्य घोषित किया गया था। इससे पहले इसमें शामिल मालाबार, कोचीन और ट्रैवनकोर नाम से तीन अलग-अलग प्रान्त हुआ करते थे। यद्यपि राजस्थान 1949 में ही भारत संघ का एक राज्य बन गया था, लेकिन विभिन्न रियासतों के विलय में ऊहापोह की स्थिति के कारण राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया सात चरणों में 1 नवम्बर 1956 को ही पूरी हो सकी।

इसी तरह वर्तमान पश्चिम बंगाल में निकटवर्ती क्षेत्रों का संविलयन 1 नवम्बर 1956 को ही पूरा हुआ। फजल अली की अध्यक्षता वाले पहले राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर देश में 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के अस्तित्व में आने के बाद भी विभिन्न क्षेत्रों की जनता की शासन प्रशासन के रिमोट कंट्रोल से मुक्ति तथा भौगोलिक तथा सांस्कृतिक पहचान के आधार पर नये राज्यों की मागों के जोर पकड़ने से सन साठ के दशक में राज्यों के गठन का दूसरा दौर शुरू हुआ। 1 नवम्बर,1966 को पंजाबी भाषी और हिंदी भाषी क्षेत्रों को पृथक कर पंजाब तथा हरियाणा का गठन किया गया जबकि कुछ पहाड़ी हिस्से तत्कालीन केंद्र शासित हिमाचल प्रदेश में मिलाने के बाद 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश को भी पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।

सन सत्तर का दशक उत्तर पूर्व के नये राज्यों के उदय का दशक साबित हुआ। पूर्वोत्तर पुनर्गठन अधिनियम 1971 के तहत कभी असम का हिस्सा रहे उत्तर पूर्व के राज्यों में से मणिपुर, त्रिपुरा एवं मेघालय को 21 जनवरी, 1972 पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 20 फरवरी, 1987 को मिजोरम एवं अरु णाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। नब्बे के दशक में उत्तर प्रदेश के उत्तराखंड में पृथक राज्य के लिए ऐसा जबरदस्त आंदोलन भड़का जिसके फलस्वरूप उत्तरांचल राज्य बना। इसी प्रकार 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ 26वां राज्य, 9 नवम्बर 2000 में उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) 27वां राज्य, 15 नवम्बर 2000 को झारखंड 28वां राज्य और 02 जून 2014 को तेलंगाना को भारत का 29वां राज्य बनाया गया।

जयसिंह रावत


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