सरोकार : यौन अपराधियों ने खेल को भी नहीं बख्शा
क्रीड़ा क्षेत्र तमाम विद्रूपताओं, प्रवंचनाओं, अश्लीलताओं से अलग एक सुरक्षित, भयमुक्त और समावेशी क्षेत्र माना जाता रहा है।
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खेल से जुड़े यौन उत्पीड़न के मामले यदा कदा ही सुर्खियों में आते हैं। ऐसी एक भी घटना मन को कड़वाहट से भर देती है। ताजातरीन कुछ घटनाओं ने खेल के स्थापित मूल्यों को तोड़ा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक साइकिलिस्ट और एक महिला नाविक खिलाड़ी के साथ उनके कोच द्वारा यौन शोषण की घटना ने देश को हिलाकर रख दिया है। आठ जून को स्लोवेनिया में एक भारतीय महिला साइकिलिस्ट ने प्रशिक्षण के दौरान अपने कोच पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया था। टीम 15 मई को स्लोवेनिया गई थी जिसमें पांच पुरु ष और एक महिला साइकिलिस्ट शामिल थी। महिला खिलाड़ी ने अपने लिए होटल में अलग कमरे की व्यवस्था करने की मांग की थी जिस पर पर भारतीय खेल प्राधिकरण ने तत्परता दिखाते हुए अलग कमरे की व्यवस्था कर दी थी। लेकिन खिलाड़ी के इस तरह प्रतिरोध दर्ज करने से कोच नाराज हो गया और उसने टीम के अन्य सदस्यों के साथ उस महिला खिलाड़ी को एक कार्यक्रम में जर्मनी ले जाने से साफ मना कर दिया। कोच ने साइकिलिस्ट को यह धमकी भी दी कि वह उसके साथ हमबिस्तर नहीं होगी तो उसे राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) से हटाकर उसका कॅरियर बर्बाद कर देगा।
इस घटना के तुरंत बाद राष्ट्रीय स्तर की एक महिला नाविक ने अपनी टीम के कोच पर जर्मनी यात्रा के दौरान उन्हें ‘असहज’ महसूस कराने का आरोप लगाया है। हैरानी की बात है कि विचाराधीन कोच तीन बार का ओलंपियन है और भारतीय नौसेना टीम का कोच है। दूसरा कोच वायुसेना में अपनी सेवाएं दे चुका है। सुशिक्षित और अनुभवी और उत्कृष्ट संस्थानों से निकले ऐसे प्रशिक्षकों की करतूत शर्मिंंदगी पैदा करती है। देश के युवा खिलाड़ी किस कदर इन गिद्धों के शिकंजे में हैं, ये घटनाएं इसकी बानगी है। संघर्ष भरे हालात से निकल कर किस तरह हमारी महिला खिलाड़ी अपने खेल के सफर को अंजाम तक पहुंचा रही हैं, यह किसी से छुपा नहीं। इनके साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं मन को झकझोर देती हैं। 2020 के आंकड़े के अनुसार पिछले 10 वर्षो में स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इण्डिया में यौन उत्पीड़न से जुड़े तकरीबन पैंतालीस मामले दर्ज किए गए जिनमें 29 कोच के खिलाफ छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले थे। कुछ साल पहले घटी यौन शोषण की एक और घटना जेहन में उभरती है। उन्नीस वर्षीय राष्ट्रीय स्तर की एक धावक ने चेन्नई के कोच पी. नागराजन के खिलाफ यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। सात और महिला एथलीटों ने भी 59 वर्षीय इस कोच पर आरोप लगाया था कि प्रशिक्षण के दौरान कोच मसाज के बहाने युवा महिला खिलाड़ियों के निजी अंगों को स्पर्श करता था।
ऐसे ज्यादातर मामलों में कार्रवाई के नाम पर ज्यादा सकारत्मक परिणाम नहीं निकले। कुछेक मामलों में ही कोच को बर्खास्तगी झेलनी पड़ी। ज्यादातर को सामान्य स्थानांतरण या हल्के फुल्के आर्थिक जुर्माने के साथ राहत दे दी गई। राहत की बात है कि मौजूदा मामलों में भारतीय खेल प्राधिकरण ने एक कोच का अनुबंध खत्म कर दिया है, तो दूसरे पर चार सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी गई है। लेकिन केवल इतने भर से काम चलने वाला नहीं। ऐसे दुराचारी प्रशिक्षकों से सख्ती से निपटना होगा।
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