बतंगड़ बेतुक : बहुत डरा हुआ है भगवा

Last Updated 12 Jun 2022 04:55:25 AM IST

झल्लन बोला, ‘ददाजू, आजकल सब डर के मारे मर रहे हैं और थोड़ा-थोड़ा हम भी डर रहे हैं और आप हैं कि यहां बैठे-बैठे तंबाकू मल रहे हैं।’


बतंगड़ बेतुक : बहुत डरा हुआ है भगवा

हमने कहा, ‘अब तुझे काहे का डर सता रहा है और वो कौन है जो तुझे डरा रहा है?’ झल्लन बोला, ‘पता नहीं ददाजू आप कौन सी दुनिया में रहते हो, किन खयालों में बिचरते हो कि जो हो रहा है उसका ध्यान ही नहीं रखते हो। अरे, मुसलमानों से पूछिए, कांग्रेसियों से पूछिए, साम्यवादियों-समाजवादियों से पूछिए, लालू-ममतावादियों से पूछिए कि उन्हें नींद क्यों नहीं आ रही है और किसकी डरावनी सूरत उनके सपनों में आ रही है। अरे, भगवा ने सबकी नींद उड़ा दी है और सबको अपने खौफ की चादर उढ़ा दी है।’ हमने कहा, ‘हमें तो बिल्कुल नहीं लगता कि मुसलमान भगवा से डरे हुए हैं, देखने से लगता है कि उनके तेवर भगवा से कहीं ज्यादा चढ़े हुए हैं और जो भी उनकी जिदें हैं उन सब पर यथावत अड़े हुए हैं। अगर डरे हुए होते तो वे हर जगह चुपचाप पीछे हट जाते या फिर भगवा की शरण में आ जाते। पर वे तो भगवा से पूरी तरह चिढ़ रहे हैं और जहां-जहां मौका हाथ लगता है वहां अच्छी तरह से भिड़ रहे हैं।’ झल्लन बोला, ‘ददाजू, मुसलमानों का डरना न डरना साम्प्रदायिक विषय है इसलिए इस पर हम ज्यादा चर्चा नहीं चलाएंगे पर ये बताइए कि कांग्रेस, सपा, टीएमसी जैसी डरी हुई दलबंदियों के बारे में आप हमें क्या बताएंगे?’ हमने कहा, ‘ये दलबंदियां डरी हुई नहीं बल्कि झुंझलाई हुई हैं, भगवा इन्हें लगातार चुनावी मात दे रहा है इसलिए बौखलाई हुई हैं।’ झल्लन बोला, ‘पर ये तो कह रही हैं कि भगवा बुलडोजर चला रहा है, देश की न जाने कौन-कौन सी बुनियादें हिला रहा है इसलिए ये देश की खातिर भगवा से डर रहे हैं और डर के मारे भगवा पर न जाने कैसे-कैसे प्रहार कर रहे हैं।’

हमने कहा, ‘देख झल्लन, डरा हुआ आदमी डर के कारण डराने वाले से बचने की कोशिश करता है और अपनी जान की खातिर छुपने की कोशिश करता है, पर तेरी इन दलबंदियों में से न तो कोई बचने की कोशिश कर रहा है और न छुपने की कोशिश कर रहा है। ये सब भगवा पर कटु से कटु वाक्प्रहार कर रहे हैं और जिसके पास जितनी बहादुरी है उसके सहारे हर मैदान में भगवा से लड़ रहे हैं। ये दीगर बात है कि आम लोग आजकल भगवा के पीछे खड़े हो जाते हैं इसलिए भगवा के झंडे थोड़े ऊंचे हो जाते हैं और आम लोगों के समर्थन के अभाव में बाकी बेचारे थोड़े पीछे रह जाते हैं। बस, इसीलिए ये भगवा से डरने का बहाना कर रहे हैं और वास्तव में सत्ता के लिए जो कुछ कर सकते हैं वही कर रहे हैं।’
झल्लन बोला, ‘हम आपकी बात से सहमत नहीं हैं ददाजू, बंगाल की शेरनी और राजस्थान-छत्तीसगढ़ के बैल जो अपने-अपने तौर पर भगवा को हराकर भी भगवा को डरावना बता रहे हैं और जहां तक दिखा सकते हैं वहां तक लोगों को भगवा का भयावह चेहरा दिखा रहे हैं।’ हमने कहा, ‘सच बात कुछ और है झल्लन जो तुझे थोड़ी अटपटी लग सकती है और तेरे अंदर अविश्वास की कोई लहर भी जग सकती है।’ झल्लन बोला, ‘आप क्या कहना चाहते हैं ददाजू, खुले शब्दों में बताइए, हमें संदेह के झूले में मत झुलाइए।’ हमने कहा, ‘दरअसल तू और तेरी दलबंदियां जिस भगवा को डरावना बता रही हैं वह भगवा खुद डरा हुआ है इसीलिए न जाने कैसी-कैसी कथनी-करनी पर उतरा हुआ है। भगवा मुसलमानों से डरा हुआ है कि कहीं वे अपना पुराना इतिहास न दोहरा दें, बंटवारे के बाद बचे देश में फिर से इस्लाम का परचम न फहरा दें और कुछ नये पाकिस्तान न बनवा दें। भगवा कांग्रेसियों से डरा हुआ है कि उसे हराने के चक्कर में वे अपनी धर्मनिरपेक्षता का भूत धर्मसापेक्ष हुए हिंदुओं पर फिर से न चढ़वा दें और उनके भगवा राष्ट्रवाद के पैरों में कीलें न गढ़वा दें। भगवा ममतावादियों और समाजवादविहीन समाजवादियों से इसलिए डरा हुआ है कि ये मुसलमानों को अपने सर पर बिठा रहे हैं और उनके भगवा स्वप्न को ढहा रहे हैं। भगवा केजरीवादियों से भी डरा हुआ है कि कहीं वे अपने कर्म बल से इनके धर्म बल को न हरा दें और पंजाब की तरह खुद को इसका विकल्प न बना दें।’

झल्लन बोला, ‘तो आप कहना चाहते हैं कि भगवा खुद डर रहा है इसलिए आंय-बांय दे दनादन कर रहा है और इसीलिए गैर-भगवाइयों को डरावना लग रहा है।’ हमने कहा, ‘अब जितनी जैसी हमारी समझ है उसके हिसाब से यही हो रहा है, भगवा अपने भविष्य के स्वप्नों पर अपने अतीत के भूतों को ढो रहा है, हमें यह भी लगता है कि यह किसी के हित में नहीं हो रहा है।’ झल्लन बोला, ‘पता नहीं ददाजू, क्या किसके हित-अहित में हो रहा है और कौन किससे-किसको डर-डरा रहा है, हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा है। खैर, अब हम इस पर दिमाग नहीं लगाएंगे, आप अपनी सुरती ले लीजिए और हम भी एक चुटकी लगाकर अपने घर जाएंगे।’

विभांशु दिव्याल


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