अर्थव्यवस्था : जारी रहेगा आगे बढ़ने का सिलसिला

Last Updated 26 May 2022 12:45:35 AM IST

अप्रैल, 2022 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.68 लाख करोड़ रु पये के स्तर पर पहुंच गया, जबकि मार्च महीने में यह 1.42 लाख करोड़ था।


अर्थव्यवस्था : जारी रहेगा आगे बढ़ने का सिलसिला

2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद पहली बार कर संग्रह 1.5 लाख करोड़ से ऊपर पहुंचा है। इतना ही नहीं, 20 अप्रैल को 9.58 लाख के लेन देन में 57,847 करोड़ रु पये का जीएसटी प्राप्त हुआ, जो एक दिन का सर्वाधिक जीएसटी संग्रह था। अभूतपूर्व जीएसटी संग्रह मौजूदा भू-राजनीतिक संकट के बावजूद हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है। विश्लेषण से पता चलता है कि जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी का कारण कर के नियमों को सरल बनाना, जीएसटी चोरी पर रोक लगाना व फर्जी बिलों की रोकथाम है।  
वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में निजी बैंकों में आईडीबीआई बैंक का प्रॉविजनिंग कवरेज रेश्यो (पीसीआर) 97.10 प्रतिशत है, जो सबसे बेहतर है। सरकारी बैंकों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र का पीसीआर 93.77 प्रतिशत है, जो सबसे अधिक है। वहीं, पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में निजी बैंकों में आईडीबीआई की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) सबसे अधिक 20.56 प्रतिशत है, जबकि सरकारी बैंकों में सेंट्रल बैंक ऑफ  इंडिया का एनपीए सबसे अधिक 15.16 प्रतिशत है। विगत वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में निजी बैंकों में बंधन बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) 7.8 प्रतिशत के साथ अधिकतम था। सरकारी बैंकों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का एनआईएम 3.77 प्रतिशत के साथ अधिकतम था। एनआईएम जमा पर दिए जा रहे ब्याज और ऋण पर वसूले जाने वाले ब्याज का अंतर है, और इस अंतर से बैंक का मुनाफा निर्धारित होता है। 2021-22 के दौरान स्टेट बैंक का शुद्ध मुनाफा 31,676 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा का 7,272 करोड़, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का 5,265 करोड़, यूको बैंक का 930 करोड़, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का 1,151 करोड़, केनरा बैंक का 5,678 करोड़, इंडियन बैंक का 3,945 करोड़, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 1,045 करोड़ और पीएनबी का 3,456 करोड़ रुपये रहा, जो सरकारी बैंकों के प्रदशर्न में आ रहे सुधार को दर्शाता है।  

सेंटर फॉर मॉनिटिरंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार अप्रैल में भारत का श्रम बल 88 लाख बढ़कर 43.72 करोड़ पर पहुंच गया, जो महामारी की शुरु आत के बाद से सबसे अधिक वृद्धि है, जबकि मार्च, 2022 में यह आंकड़ा 42.84 करोड़ था। उल्लेखनीय है कि विगत 3 महीनों में इसमें 1.2 करोड़ श्रम बल की गिरावट दर्ज की गई थी। आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश के श्रम बल में औसत मासिक वृद्धि दो लाख रही। सीएमआईई की  रिपोर्ट के अनुसार 88 लाख लोगों को रोजगार मिलना दर्शाता है कि अप्रैल महीने में कुछ ऐसे भी लोगों को रोजगार मिला है, जो पहले रोजगार पाने में सफल नहीं रहे थे। अप्रैल में रोजगार के अवसरों में वृद्धि मुख्य रूप से उद्योग और सेवा क्षेत्रों में हुई। उद्योग क्षेत्र में इस महीने 55 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए, जबकि सेवा क्षेत्र में  67 लाख। हालांकि, इस दौरान कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में 52 लाख की कमी आई, जिसका कारण फसलों की कटाई की प्रक्रिया का मार्च महीने में समाप्त होना है। दरअसल, कृषि में रोजगार के अवसर फसल की बुवाई, देखरेख और कटाई के दौरान सृजित होते हैं।   
सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत दी गई जानकारी में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों के 81,921.54 करोड़ रुपये धोखाधड़ी के कारण फंस गए। वहीं, इन बैंकों में वित्त वर्ष 2021-22 में धोखाधड़ी के 7,940 मामले सामने आए, जबकि 2020-21 में 9,933। इस तरह, वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में धोखाधड़ी के मामलों में कमी आई है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान धोखाधड़ी के मामलों में सर्वाधिक 9,528.95 करोड़ रुपये पीएनबी के फंसे थे और वहां धोखाधड़ी के 431 मामले दर्ज हुए। इस अवधि में भारतीय स्टेट बैंक में धोखाधड़ी के 4,192 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें बैंक के 6,932.37 करोड़ फंसे। वित्त वर्ष 2021-22 में बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के 209 मामलों में 5,923.99 करोड़ रु पये, बैंक ऑफ बड़ौदा में धोखाधड़ी के 280 मामलों में 3,989.36 करोड़, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के 627 मामलों में 3,939 करोड़ रुपये और केनरा बैंक में धोखाधड़ी के 90 मामलों में 3,230.18 करोड़ रु पये फंसे, जबकि इंडियन बैंक में धोखाधड़ी के 211 मामलों में 2,038.28 करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक में धोखाधड़ी के 312 मामलों में 1,733.80  करोड़, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में धोखाधड़ी के 72 मामलों में 1,139.36 करोड़, यूको बैंक में धोखाधड़ी के 114 मामलों में 611.54  करोड़ और पंजाब एंड सिंध बैंक में धोखाधड़ी के 159 मामलों में 455.04 करोड़ रुपये फंसे हैं। इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि बैंकों में धोखाधड़ी के ज्यादातर मामले कम राशि के हैं।
विगत 2 सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी की वजह से थोड़ी कमजोर हुई है, लेकिन जल्द ही यह सुधार की राह पर अग्रसर हो गई। जीएसटी संग्रह में अप्रैल महीने में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई और यह 1.50 लाख करोड़ रु पए के आंकड़े को पार कर गया। प्रत्यक्ष कर में भी वृद्धि हुई। रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हुई। धोखाधड़ी के मामलों में कमी दर्ज की गई। भारतीय बैंकों के प्रदशर्न में भी सुधार आया। हां, महंगाई जरूर बड़ी समस्या बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बने भू-राजनीतिक तनाव की वजह से इसे लगातार बढ़ावा मिल रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई कम करने की कोशिश कर रहा है। रेपो दर में 0.40 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की गई है, लेकिन इस समस्या का समाधान हाल-फिलहाल होता नहीं दिख रहा। बावजूद इसके, कहा जा सकता है कि चूंकि, भारतीय अर्थव्यवस्था अनेक आर्थिक मानकों पर अच्छा प्रदशर्न कर रही है, इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था की आगे बढ़ने की गति भले ही कुछ कम हो जाए, लेकिन वह रुकेगी नहीं।

सतीश सिंह


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